Tuesday, June 24, 2014

पर तुम्हारा ख़ास हूँ जी

गुदगुदाए याद जिसकी -
हृदय का उल्लास हूँ जी .
दूर मीलों हैं ठिकाना -
पर तुम्हारे पास हूँ जी .

पुन्य हूँ ना पाप हूँ जी .
न कोई संताप हूँ जी . 
क्षणिक सी उत्तेजना हूँ 
दिलका बढ़ता ताप हूँ जी .

वो स्मित की क्षीण रेखा
खिलखिलाती सी हंसी हूँ
दृगों पर जैसे दुआ सा
ना कोई मैं श्राप हूँ जी .

ठीक से पहचान करलो
और हृदयके द्वार खोलो
मुझसा ना कोई दूसरा है -
अपने जैसा आप हूँ जी .

मधुर दिलकी कल्पना हूँ
एक मधुरिम हास हूँ जी .
आम हूँ दुनियाकी खातिर
पर तुम्हारा ख़ास हूँ जी .

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