थोडा सा जोर लगाओ तो
पड़े सब दरख्त खड़े होंगे .
अबकी बरखा में यार मेरे
ये सारे ठूंठ हरे होंगे .
मातम कैसा बरगद टुटा
जिसकी शाखा पाताली थी .
अंदर से जर्जर जड़ उसकी
दीमक ने चटकर डाली थी .
ना झेल सका गिर पड़ा तभी
वो एक हवा का भी झोका
जड़ टूट चुकी थी पर जिसको
शाखों ने रखी संभाली थी .
चल गए फिरंगी घर अपने
ये चमन नहीं कंगालों का .
देसी बिरवे अब रोपेंगे -
घर होता है घरवालों का .
पड़े सब दरख्त खड़े होंगे .
अबकी बरखा में यार मेरे
ये सारे ठूंठ हरे होंगे .
मातम कैसा बरगद टुटा
जिसकी शाखा पाताली थी .
अंदर से जर्जर जड़ उसकी
दीमक ने चटकर डाली थी .
ना झेल सका गिर पड़ा तभी
वो एक हवा का भी झोका
जड़ टूट चुकी थी पर जिसको
शाखों ने रखी संभाली थी .
चल गए फिरंगी घर अपने
ये चमन नहीं कंगालों का .
देसी बिरवे अब रोपेंगे -
घर होता है घरवालों का .