Friday, October 30, 2015

मंजिलों के नाम होंगे .

वक्त समझाएगा सबको
ख़ास ये सब आम होंगे .
आज डंके बज रहें हैं -
कल यही बदनाम होंगे

कल की कैसी फ़िकर है
कल कहीं हम शाम होंगे .
कौन बच पाया यहाँ पर
'काल' सबके धाम होंगे .

नाम में रखा नही कुछ
नाम तो बदनाम होंगे .
मुसाफिर बेनाम हैं हम
मंजिलों के नाम होंगे .

और भी राहें बहुत हैं
और भी आयाम होंगे .
महुब्बत को छोडिये जी
और भी तो काम होंगे .

Tuesday, October 27, 2015

जिन्दगी बोझिल नही कुछ सार होना चाहिए .

जीतने और हारने में कट गयी सारी उम्र -
जिन्दगी बोझिल नही कुछ सार होना चाहिए .
यार हमदम सेंकडों हो जंग हो चाहे अमन .
रार कितनी हो दिलोंमें प्यार होना चाहिए .
पत्थरों के बीच काई जम रही है दोस्तों
सफाई अभियान का प्रसार होना चाहिए .
हूक सी उठती कलेजे में अरि के दोस्तों -
जमके फिरसे मोदी का प्रचार होना चाहिए .
फिर कोई दुश्मन उठाके आँख ना देखे हमें
अब ना दुश्मन से कोई व्यवहार होना चाहिए .
पक्षको कसकर रखे प्रतिपक्ष कुछ ऐसा बने
आम जनता का भी पैरोकार होना चाहिए .
बात में हो दम तवज्जो आपकी चाहूँगा मैं
शब्द में हो धार - ना बेकार होना चाहिए .

Saturday, October 24, 2015

मांगना मत दिल दिया कर ना .

अंधेरों से भी यार - क्या गिला करना .
चांदनी रातों में  - मिल लिया कर ना .

भीड़ में गर लगे अकेला है - तो
तू खुदको कईबार गिन लिया कर ना .

जब किसी बात पर हंसी नहीं आये -
खुद अपने आप पर हंस लिया कर ना .

आसके फूल गमलों में नहीं खिलते
तू बनफूल बनके खिल लिया कर ना.

शर्म की बात माँगना है यार -
मांगना मत दिल दिया कर ना .

Wednesday, October 7, 2015

क्षणिकाएं

ये कैसी जिंदगी प्यारे -
रफु करकर के सब हारे .
जहाँ से सी रहे सारे -
वहीँ से फिर उधडती है .

घटा रुखसार बन छायी रहो महसूस होती हो
बारिशें लौट जाएँ तो हमें अच्छा नही लगता .

कच्चे सब मटके फूट चले 
ना सच चले तब झूठ चले .
जब हक़ नहीं तो लूट चले -
जो बोले उसको कूट चले .

ताले जाने कितने खूटे
माथे जाने कितने फूटे .
साबुत से हाड सभी टूटे .
माया से फिर भी ना छूटे .

महकते सब गुलाब नहीं होते -
शक्श सारे लाजवाब नहीं होते .
जाम आँखों से भी पीये जाते हैं .
मयकश सारे खराब नहीं होते .

मुझे अपनी तन्हाइयों से डर लगता है .
मुझे रूपहली परछाइयों से डर लगता है .
मुझे प्यार की ऊंचाइयों से डर लगता है .
मुझ प्रेम की गहराइयों से डर लगता है .
मुझे खंदकों और खाइयों से डर लगता है .

वंदनमें क्यों कृन्दन सा है .

बाबा बापू की भीड़ बहुत -
क्यों हल्दी ये चंदनसा है .
तुम भी मुस्काते नही प्रभु -
वंदनमें क्यों कृन्दन सा है .

आनन् त्रिपुंड लगाए जो -
कुछ छैल बिहारी बांके हैं .
हाथों में पुस्तक गीता है -
स्वामी के संग संगीता है .

जो माइक पर चिल्लाये हैं
कितने अर्जुन समझाए हैं ?
शिष्याओं की है फौज बड़ी -
लाखों ही शिष्य बनाये हैं .

हानिकी ना गुंजाइश है -
सबसे आसान रवैया है .
संग सजनी अम्मा भैया है
माया लख टक्का सवैया है .