वक्त समझाएगा सबको
ख़ास ये सब आम होंगे .
आज डंके बज रहें हैं -
कल यही बदनाम होंगे
ख़ास ये सब आम होंगे .
आज डंके बज रहें हैं -
कल यही बदनाम होंगे
कल की कैसी फ़िकर है
कल कहीं हम शाम होंगे .
कौन बच पाया यहाँ पर
'काल' सबके धाम होंगे .
कल कहीं हम शाम होंगे .
कौन बच पाया यहाँ पर
'काल' सबके धाम होंगे .
नाम में रखा नही कुछ
नाम तो बदनाम होंगे .
मुसाफिर बेनाम हैं हम
मंजिलों के नाम होंगे .
और भी राहें बहुत हैं
और भी आयाम होंगे .
महुब्बत को छोडिये जी
और भी तो काम होंगे .