Tuesday, August 11, 2015

नेता भडुए साथ साथ हैं .

करतूतें इन बाबाओं की -
खुली नहीं सचमे जितनी हैं .
बापू आशा राम नहीं इक
राधा मां जाने कितनी हैं .

छिपी हुई हैं खुली हुई कुछ
भैया की भाभी कितनी हैं .
बाबा की बाबी कितनी हैं -
ताले की चाबी कितनी हैं .

भीड़ बहुत है इनके पीछे -
हाथों में हथियार बहुत हैं
पहुंचे हुए फ़रिश्ते भी हैं -
छुट्टे लम्बरदार बहुत हैं .

सिद्धि नहीं हाथ में कोई -
स्वर्ण भार से दबे हाथ हैं
भक्तों की पीड़ा पर भारी -
नेता भडुए साथ साथ हैं .