Wednesday, December 30, 2015

अब ना कोई हाल पूछे

खट्टी मीठी कुरमुरी सी
स्मृति बिखरी हैं प्यारे
समेटोगे कब इन्हें तुम
बज रहा घड़ियाल पूछे .

क्या भला था क्या बुरा
कैसे हुए कमाल पूछे
उम्रकी चढ़ती कलाकी
रपटती ये ढाल पूछे .

जिंदगी सोना खरा था
चाहे धूरे में पड़ा था
विसंगति की चाल पूछे
क्यों हुए कंगाल पूछे .

कल तक था मैं दुलारा
अब ना कोई हाल पूछे
जा रहा हूँ मैं सदा को
ये पुराना साल पूछे .

Sunday, December 20, 2015

अपनी भी जयबोल जम्हूरे .

बीन किसीकी गीत किसीका
कबतक नाचेंगा फणधर सा .
अपनी लय ना अपना सुर है
कुंडली अपनी खोल जम्हूरे .

कुछ तो लबसे बोल जम्हूरे
पोल सभी की खोल जमूरे .
जिन्दा बाद नहीं ओरों की -
अपनी भी जयबोल जम्हूरे .

फुंफकारों से काम चले ना
विषकी तुझमे कमी नहीं है
शेषनाग पर टिकी धरा है -
विषधर तू  दोमुही नहीं है .

शेर सारे जनाने हो गए

हमें चाहे जितना कोसिये
कहानी में कहाने हो गए .
ना कोई पेच है ना ट्विस्ट है
भाई शाहरुख़ बहाने हो गए .

खबर अखबारकी पढ़ते नहीं
लोग नाहक दीवाने हो गए .
नब्ज अवामकी समझे नहीं
कहाँ मोदी सयाने हो गए.

छुपे बैठे हैं घुसकर मांदमें 
हरे जंगल वीराने हो गए.
जनखे सौ टंच मर्दाने लगे 
शेर सारे जनाने हो गए .

Monday, December 14, 2015

करेंसी नोट सब जाली मिले

बोयें क्या एक भी दाना नहीं
जोतते खेत सब हाली मिले .
भरोसा अब किसी पर है नहीं
संसदी सन्त सब ठाली मिले .

गटर जैसी नदी बहती रही
नहाते लोग बस खाली मिले .
फावड़े ले सभी तो आ गए
न कोई देश में नाली मिले .

एक भी पौद फूलों की नहीं 
चमनमें सब हमें माली मिले .
गुज़ारे क्या करें हम दोस्तों
करेंसी नोट सब जाली मिले .

गया असबाब अब मिलता नहीं
डकैत हमको रखवाली मिले .
चरित मानस पुराणी बात है 
नहीं सुग्रीव सब बाली मिले .

भरोसा अब किसी का क्या करें
मिले जो भी वो मवाली मिले .
मेरी बस अर्ज़ इतनी दोस्तों
करू अच्छा नहीं गाली मिले .

Saturday, December 12, 2015

एक कतरा बूँद से सागर बना रे



चल पड़े हैं कारवां मंजिल पे देखो 

जिन्दगी है खेल कोई अब ना हारे. 
जाने कैसे आगये आँखों में आंसू - 
तूने दिलसे आज जाने क्या कहा रे .

मेघ फिरसे आ गये सागर किनारे 
अश्क आँखों से ना यारा तू बहा रे .
युक्तियों से मुक्तियों की बात झूठी 
एक कतरा बूँद से सागर बना रे .

करना दिलको यार तूभी अनमना रे 
प्यार कविता है ना कोरी कल्पना रे .
मत कहो आकाश में कोहरा घना रे 
छोड़ धरती नभमें अपना घर बना रे .

वो हरदम पास होती है .

हो कितना फासला लेकिन -
वो हरदम पास होती है .
जमानत की वो मेरी -
हर जगह दरखास्त होती है .

खून हैं माफ़ सारे यार 
तुमसे कह नहीं सकता -

हिसाबे इश्क में गलती -
कहाँ बर्दाश्त होती है .

क्षणिकाएं

नफरतों की फसल ही जब काटनी 
प्यार के मैं बीज बोकर क्या करूँ
मैं पथिक अनजान सूनी राह का -
प्रेम में तेरा मैं होकर क्या करूँ .

रोकिये मत राह बढ़कर तुम मेरी - 
जब नहीं मेरे तो रुकके क्या करूँ
क्षितिज के उसपार जाना है मुझे -
तितलियों के पंख लेकर क्या करूँ .

किसीका इंतज़ार अब नहीं
सारी दुनिया बिसार बैठे हैं
जिसे आना है आ जाओ यार
हम तो बाहें पसार बैठे हैं .

हमसफ़र कोई ना सही -
पर सफ़र अच्छा रहा .

उम्र भर सुनते रहे कहा कुछभी नहीं 
कोशिशें की बहूत हुआ कुछभी नहीं .
सफ़र दर सफ़र में रही जिन्दगी यारो -
घुमक्कड़ी खूब रही मिला कुछभी नहीं .

ख्यालो में मस्तीकी धूप आने दो 
शील अश्लील कुछ नहीं जाने दो .

चलो ऐसे सही - 
ना वैसे सही . 
कटे ये जिन्दगी - 
चाहे जैसे सही .

हरेक बात पर ताना - 
हरेक पलका हिसाब 
ना किया इश्क मैंने -
नौकरी कर ली तेरी .

कहूं चाहे ना बतलाऊं - 
मैं लौटूं या नहीं आऊं .
वो मुझको खोज लेती है 
कहीं भी मैं चला जाऊं .

आंधियां सी जो चलती 
पौन है वो .
मुखर सा बोलता सा 
मौन है वो .
जरा सोचो बताओ 
कौन है वो ?