Wednesday, March 30, 2016

भौर टूटे तारका सप्तक कहो तुम

भौर टूटे तारका -
सप्तक कहो तुम .
प्रेम दुःखका द्वार या -
जातक कहो तुम .

नाद आर्तनाद जैसा
कुछ नहीं है
द्वन्द अंतरद्वंद का
वाचक कहो तुम .

मांगता रहता हूँ अक्सर
नेहका मैं दान यारा
है यही सच प्रेमका -
याचक कहो तुम

पथिक हूँ निर्माणपथ का
अश्व जलते सूर्यरथ का
चाँद में धब्बे बहुत हैं -
चाहे आलोचक कहो तुम

सुन रहा हूँ गौर से मैं
अब कहो तुम .
आज कुछ भी ना छिपाओ
सब कहो तुम .

Friday, March 11, 2016

सतयुग से त्रेता अच्छा था

सतयुग से त्रेता अच्छा था
द्वापरसे कलयुग तक जाओ .
महाकाल इस महापर्व है -
कलयुग की महिमा गाओ .

नेकी बदी साथ पलते हैं
किये कर्म तुरत फलते हैं .
ऐसा कोई काल कहाँ था
जिसमे सद्गुरु संग चलते हैं .

मनसे ध्याये पूण्य मिले पर
मन के सोचे पाप नहीं है .
नाम जपो और पाओ मुक्ति
इससे अद्भुत जाप नहीं है .