Wednesday, January 28, 2015

दिल वालों की दिल्ली है .

नखरे शाही ठाठ गये .
थूका फिरसे चाट गये -
बर्बादी से सीखा ना -
फिरसे पत्ते बाँट गये .


अच्छे अच्छे लाट गये .
और तराजू बाट गये .
बाकी बचे वही केवल
लड़ने से जो नाट गये .

चलताऊ सा बिल्ला है
खिसियानी सी बिल्ली है .
मिल जाएगी जब देखो
दिल वालों की दिल्ली है .

         -  सतीश यशोमद 





Tuesday, January 27, 2015

हरेक हर हाल बिकता है .

कहीं पे मछलियाँ बिकती
कहीं पर जाल बिकता है .

कहीं पे मायका बिकता
कहीं ससुराल बिकता है .

किसी का साल बिकता है
किसी का हाल बिकता है .

कहीं पर कोयला बिकता
कहीं पर टाल बिकता है

किसीकी जिन्दगी बिकती -
किसी का काल बिकता है .

कबाड़ी की दुकानों पर -
पुराना माल बिकता है .

ये दुनिया है यहाँ प्यारे -
हरेक हर हाल बिकता है .