Monday, September 22, 2014

ना यार तक पहुंचे

बने रिश्ते ना एतबार तक पहुंचे
रही दोस्ती ना प्यार तक पहुंचे .

पतझरों में साथ चलता हुआ -
कोई मिले जो बहार तक पहुचे

मिले हमदर्द कोई ऐसा जो
मेरे दिलके गुब्बार तक पहुंचे .

याद आये ना बिसार तक पहुंचे
लिखी चिठ्ठी ना यार तक पहुंचे .

मेरी आवारगी सदा बदनाम रही
कभी ना दिलके द्वार तक पहुचे .

रही ना जान जैसे क्या करें

 
सुबह जो शाम जैसी क्या करें .

मिली थी जिन्दगी खैरात में 

कठिन इम्तिहान जैसी क्या करें .

बराए नाम जैसी क्या करें .

फ़क्त जिन्दा है मर सकते नहीं 

बनी शमशान जैसी क्या करें .

ना फिर अंजाम जैसी क्या करें .

कठिन लगता है मरना भी बड़ा 

रही ना जान जैसे क्या करें .

इशारे तक नहीं हैं

करे तो क्या करें हम -
बेचारे तक नहीं हैं .
प्यार की बात छोडो 
इशारे तक नहीं हैं .


बात मझधार की 

करता नहीं मैं . 
किनारे भी किनारे
तक नहीं हैं .


कौन लहरों से मिलने

जाए अब बिलकुल अकेले .
अजी तूफ़ान छोडो -
तेज़ धारे तक नहीं हैं .


मिलन की आस भी है

वो बिलकुल पास भी है
खुले हैं  बाल देखो 
संवारे तक नहीं हैं .

अँधेरे में चला लो मुझको

जलाओगे तो 

रौशनी दूंगा .


दिया माटी का हूँ 


जला लो मुझको -


रौशनी में जल और 


चल ना पाऊं शायद . 


खोटा सिक्का हूँ अँधेरेमें 


चला लो मुझको .

मुंहसे पहले दाद देते जाइए

रूठ जाते हैं जरा सी बात पर 

रूठने का इक बहाना चाहिए .


जो बुलाने पर कभी आये नहीं 


क्या हमें उनको बुलाना चाहिए .



ठहरने को कौन बोलेगा हजुर 


आपको रुकना नहीं तो जाइए 


जूतियों में दाल बटती है यहाँ


शौकसे खाने का मन तो खाइए . 



इश्कका चूरण बटेगा बाद में


मुफ्त में जुलाब लेते जाइए .


हाथ से जूता चलाना बाद में 


मुंहसे पहले दाद देते जाइए .

किसी की भी पनाहों में नहीं हूँ

घटा रुखसार पर माना फ़िदा हूँ 
महकती इन फिजाओं में नहीं हूँ .

मेरी मंजिल तो कोई और ही है
तुम्हारी ख्वाबगाहों में नहीं हूँ .

प्यार की पाक राहों में नहीं हूँ .
साथ पर तेरी बाहों में नहीं हूँ .

मजे में हूँ मैं खुदके साथ यारा
किसी की भी पनाहों में नहीं हूँ .