Friday, December 19, 2014

फर्क केवल मांग का है .

प्यार कोरी कल्पना है
व्यक्ति में उन्मांद सा है
चाँद धुंधला सा लगे है
सूर्य लगता चाँद सा है .

तार सप्तक सी चमकती
दीप की जैसे शिखा हो .
प्रेमिका चढ़ती कला है
नशा जैसे भांग का है .

घास के अमिताभ में
जाती जयासी और रेखा .
चाहे खाली या भरी हो
फर्क केवल मांग का है .

Saturday, December 13, 2014

मोदी कोसे हर मुआ .


नहीं चाँदमें दाग कुछ
सोनी जी बेदाग़ .

लम्पट भडुए कह रहे
हमसे खेलो फाग .



सागर जैसे उठ रहे
सबके मुंहमें झाग .
अब कोमे में हैं सभी 

बचा ना कोई राग .

सबकी अपनी छालनी
सबके अपने छाज .
मोदी का दुश्मन मिलें
तब आये 'स्व- राज' .

पानी तो पाया नहीं
खोदत दीखे सब कुआँ .
निकला सारों का धुँआ 
मोदी कोसे हर मुआ .

मोदी कोसे हर मुआ .


नहीं चाँदमें दाग कुछ
सोनी जी बेदाग़ .

लम्पट भडुए कह रहे
हमसे खेलो फाग .



सागर जैसे उठ रहे
सबके मुंहमें झाग .
अब कोमे में हैं सभी 

बचा ना कोई राग .

सबकी अपनी छालनी
सबके अपने छाज .
मोदी का दुश्मन मिलें
तब आये 'स्व- राज' .

पानी तो पाया नहीं
खोदत दीखे सब कुआँ .
निकला सारों का धुँआ 
मोदी कोसे हर मुआ .

Sunday, November 23, 2014

हम होश में नहीं हैं .

अल्लाह का कर्म है
कोई कमी नहीं है .
पाने को कुछ नही था
खोने को कुछ नहीं है .

रहते किसीके दिल में
अपना तो घर नही है
हम खो गये हैं यारो -
कोई खबर नही हैं .


इस भीड़ में जहाँ की
सब ऐसे खो गये हैं .
वो भी नही मिले अब
हम भी कहीं नहीं हैं .


इस वक्तकी नजर से
यूँ पूरी सदी गुजरी .
कुछ पल ठहर गये हैं
जाते कहीं नहीं हैं .


वो फर्श से उठे और
आकाश हो गये हैं .
सब सो गये हैं सपने
उठते ये क्यों नहीं हैं .

जाने क्या लिख गया मैं
जाने क्या पढ़ गया तू .
तुम होश में हो प्यारे
हम होश में नहीं हैं .

Friday, November 14, 2014

प्यारसे यार तू बिदा कर ना .

लौटकर मैं जरुर आऊंगा -
प्यारसे यार तू बिदा कर ना .

मंजिलें कब किसी की होती हैं
तेरी ख्वाहिश है तो चलाकर ना .

हवाओं से जंग ठानी है -
फिर पत्ते की तरह हिला करना .

रूठ जाती है जब तकदीर मेरी -
फिर आपसे क्या गिला करना .

बहूत छोटा सा शहर है अपना -
आते जाते मिल लिया करना .

Saturday, November 8, 2014

हमारे साथ चलता क्यों नही

गरीबों का खुदा कहते हैं लोग
अमीरों से तू जलता क्यों नही
जो मेरा हमसफ़र है हमनवां -
हमारे साथ चलता क्यों नही .

स्वर्ण मंदिर में तेरा वास है -
मुझसे दूर जाने किसके पास है .
मिलोगे एक धूमिल आस है -
कभी घरसे निकलता क्यों नही .

रोज कहता हूँ अपनी दास्ताँ
सुनाता हूँ तू सुनता क्यों नही .
मेरी आँखों में टूटे ख्वाब हैं -
नया कोई ख्वाब बुनता क्यों नही .

ना तू अनजान ना मैं अजनबी
फिर तू मेरी सुनता क्यों नही .
मेरी आँखों से आंसू बह रहे -
तू पत्थर दिल पिघलता क्यों नही .

Friday, October 31, 2014

भूर्ण बचता है पिता के रूप में

एक शापित बूँद मां के गर्भ में -
भांपती नजरों से अपने तोलती .
धूलमें मिटना लिखा तकदीर में -
एक बिन लिखी इबारत बोलती .


कोई अर्पण ना कोई तर्पण कहीं
विगत पितरों सा नही सम्मान है
आई जाने कब यहाँ से कब गयी
इन अनामों का ना कोई नाम है .

मात्र शक्ति की कोई सत्ता नही
वृक्ष है लेकिन कोई पत्ता नही .
सूख जाते बीज तीक्ष्ण धूप में
भूर्ण बचता है पिता के रूप में .

Monday, October 27, 2014

तू भी बेटा हुआ सवाली

चली हवा यूँ बुझे दीये सब
बुझे दीये तो गयी दीवाली .
सबकी झोली भरी ख़ुशीसे
क्या सारे अब गमसे खाली .

चिंता ना कर होली आई
फिर जाए तेरी कंगाली .
नही मानता दिल भी मेरी
तू भी बेटा हुआ सवाली .

दरदर भटके मांगे मन्नत
सबकी झोली कितनी खाली .
मंदिर या मस्जिद आई तो
गर्दन अपनी वहीँ झूका ली .

आया था क्या लेकर पगले
आज गयी कल आने वाली .
आज है तेरी कल किसी की
दुनिया कहीं ना जाने वाली .

Monday, October 20, 2014

बीवी कहती मैं बुद्धू हूँ

ये कितना हृदय विदारक है
लेकिन मैं चीख नही सकता .
बीवी कहती मैं बुद्धू हूँ -
जीवन भर सीख नही सकता .

तरकारी तक की परचेजिंग
ना मुझको करनी आती है .
ये मोल भाव की बातों में
माहिर बीवी कहलाती है .

फल पके हुए भाजी कच्ची
समझा ना अबतक मैं सच्ची
भिन्डी की दूम तोड़ो पहले
परखो पक्की है या कच्ची .

ये सख्त टमाटर है प्रियतम
ये आलू हरा नही लेना .
धनिया मिर्ची ना मुफ्त मिले
उससे तरकारी क्या लेना .

शौपिंग में मेरे यार कहीं
घरवाली का संग में होना .
वो दीवाली क्या दिवाली -
जब तक दीवाला ना होना .

Thursday, October 9, 2014

वो भी बुझे बुझे हैं

वो भी बुझे बुझे हैं -
ये दिल भी परेशां सा . 
ना जाने क्या हुआ है -
क्यों आँख में नमी है .

क्यों गिर रहे हैं आंसू 
शबनम से दरखतों पर .
किसने इन्हें सताया - 
बेदर्द क्यों जमीं है .

उस ऊँचे आसमां से 
पूछो तो सही यारो .
किस बात का वहम है 
किस बात की कमी हैं .


यूँ सर पे आसमां है -
पैरों तले जमीं हैं .
दिल भाव से भरा पर - 
कहने को कुछ नहीं है .


नीरस ही सही लेकिन 
जीना सही है यारो .
अब मौत भूतनी की -
यूँ कौन सी हंसी हैं .

Monday, October 6, 2014

खुदाके दरपे सर अपना झुकाकर देखिये .

अकड का वास्ता यारो अदब से कुछ नहीं 
खुदाके दरपे सर अपना झुकाकर देखिये .
रुलाकर दूर जाने की अदा छोडो सनम -
कभी तो जानेमन हमको हंसाकर देखिये .

गमोंकी आग आखिर क्यों नजर आती नही . 
बुझे दिल से मेरे- उठता धुंवा सा देखिये .
सच कुनिंन होता यार सच कहते हैं लोग 
लगे कडुवा मगर पीकर जरा सा देखिये .

प्यार में मरने की कसम खाते हैं लोग 
कभी तो प्यार में जीकर जरा सा देखिये .
गली अंधी से यारो जब निकलके आ गए -
रास्ता ठीक और चौड़ा जरा सा देखिये .


Wednesday, October 1, 2014

प्रेम पचीसी

प्रेम पचीसी लिख रहे
बाबू जगत अनाथ .
ना दमड़ी का फर्क है
चाहे करलो जांच .

अठासी का नेट है
छत्तीस की हैं सेंट .
वैट लगा ले बावले
पूरा सेंट परसेंट .

बिल देना है मालका
इसपर भी दे ध्यान
काफी ठंडी ना चले
बीयर का सविधान .

पिक्चर बाकी है अभी
वो भी करले नोट .
मल्टीप्लेक्स ही ठीक है
उसमे अच्छी औट .

इतना जो तू कर सके
मिले प्रेम का वोट
वर्ना नियत में तेरी
शत प्रतिशत है खोट .

Monday, September 22, 2014

ना यार तक पहुंचे

बने रिश्ते ना एतबार तक पहुंचे
रही दोस्ती ना प्यार तक पहुंचे .

पतझरों में साथ चलता हुआ -
कोई मिले जो बहार तक पहुचे

मिले हमदर्द कोई ऐसा जो
मेरे दिलके गुब्बार तक पहुंचे .

याद आये ना बिसार तक पहुंचे
लिखी चिठ्ठी ना यार तक पहुंचे .

मेरी आवारगी सदा बदनाम रही
कभी ना दिलके द्वार तक पहुचे .

रही ना जान जैसे क्या करें

 
सुबह जो शाम जैसी क्या करें .

मिली थी जिन्दगी खैरात में 

कठिन इम्तिहान जैसी क्या करें .

बराए नाम जैसी क्या करें .

फ़क्त जिन्दा है मर सकते नहीं 

बनी शमशान जैसी क्या करें .

ना फिर अंजाम जैसी क्या करें .

कठिन लगता है मरना भी बड़ा 

रही ना जान जैसे क्या करें .

इशारे तक नहीं हैं

करे तो क्या करें हम -
बेचारे तक नहीं हैं .
प्यार की बात छोडो 
इशारे तक नहीं हैं .


बात मझधार की 

करता नहीं मैं . 
किनारे भी किनारे
तक नहीं हैं .


कौन लहरों से मिलने

जाए अब बिलकुल अकेले .
अजी तूफ़ान छोडो -
तेज़ धारे तक नहीं हैं .


मिलन की आस भी है

वो बिलकुल पास भी है
खुले हैं  बाल देखो 
संवारे तक नहीं हैं .

अँधेरे में चला लो मुझको

जलाओगे तो 

रौशनी दूंगा .


दिया माटी का हूँ 


जला लो मुझको -


रौशनी में जल और 


चल ना पाऊं शायद . 


खोटा सिक्का हूँ अँधेरेमें 


चला लो मुझको .

मुंहसे पहले दाद देते जाइए

रूठ जाते हैं जरा सी बात पर 

रूठने का इक बहाना चाहिए .


जो बुलाने पर कभी आये नहीं 


क्या हमें उनको बुलाना चाहिए .



ठहरने को कौन बोलेगा हजुर 


आपको रुकना नहीं तो जाइए 


जूतियों में दाल बटती है यहाँ


शौकसे खाने का मन तो खाइए . 



इश्कका चूरण बटेगा बाद में


मुफ्त में जुलाब लेते जाइए .


हाथ से जूता चलाना बाद में 


मुंहसे पहले दाद देते जाइए .

किसी की भी पनाहों में नहीं हूँ

घटा रुखसार पर माना फ़िदा हूँ 
महकती इन फिजाओं में नहीं हूँ .

मेरी मंजिल तो कोई और ही है
तुम्हारी ख्वाबगाहों में नहीं हूँ .

प्यार की पाक राहों में नहीं हूँ .
साथ पर तेरी बाहों में नहीं हूँ .

मजे में हूँ मैं खुदके साथ यारा
किसी की भी पनाहों में नहीं हूँ .

Wednesday, August 27, 2014

महूब्ब्त हो ही जाती है

कभी परवान चढ़ती है - 
कभी बलिदान होती हैं .
जिस्म जिन्दा बचे पर 
रूह भी कुर्बान होती है .

सोच कर की नही जाती 
हुई फिर सोचना कैसा .
महुब्बत खिल गयी तो 
फूल को यूँ नोचना कैसा .

अलग से गीत होते हैं
अलग अंदाज़ होते हैं .
थिरकते पाँव चलते हैं
अलग से साज़ होते हैं .

बहाना सीख जाते हैं -
ये आँखों में रुके आंसू .
लबों से कह नहीं सकते
हज़ारों राज़ होते हैं .

छुपाने से नहीं छुपती
बयाँ हो जाती नजरों से
बताएं क्या तुम्हें यारो
अनोखे नाज़ होते हैं .

मिले जो शौख नज़रें -
तो क़यामत हो ही जाती है
महूब्ब्त की नहीं जाती
महूब्ब्त हो ही जाती है .

Wednesday, August 20, 2014

लाल किला आज भी बोला

सुबह सुहानी सी थी कुछ - 
हवा में यूँ रवानी थी कुछ . 
अँधेरी रातों के चेहरे नहीं थे 
शहीदों के जिक्रपर पहरे नहीं थे .

जख्म तो अभी भी हैं पर - 
यूँ बहूत ज्यादा गहरे नहीं थे .
खुश होना तो चाहता हूँ यार 
पर अभी दिन सुनहरे नहीं थे .

लाल किला आज भी बोला पर
दरवाज़ा आशाओं का खोला नहीं था .
आवाज़ में खनक तो थी यार पर
मोदी पहलेसा जलता शोला नहीं था .

बा मुलाईजा होशियार -

बा मुलाईजा होशियार -
सीपी का सेंट्रल पार्क .
और दिन रविवार .
नजारा ऐ इश्क दरबार .
सस्ता चीनी प्रेम इज़हार 
सुबह से शाम तक  
बहारे रौनक - 
गुले गुलज़ार .

कुछ कुनमुनाते - 
कसमसाते भोगी . 
कुछ लठ फटकारते -
सरकारी योगी .
कुछ भुनभुनाते बडबडाते -
सोचते से भुनगे - यार
ये क्यों हुए - 

हम क्यों ना हुए .

लवमान बदलते रहते हैं

ना हुस्न कहीं - वो इश्क नहीं 
जो जाना पहचाना सा हो .
कोई बहूत पुरानी नहीं बात -
जो राधा और - कान्हां सा हो .

बदला ना वक्त वही तो है -
धरती नभ सूरज चाँद वही 
यौवन भी सब पर आता है .
है प्रेम वही संविधान वही .

लवमान बदलते रहते हैं
अरमान बदलते रहते हैं
नित भक्त बदलते रहते हैं
भगवान् बदलते रहते हैं .

कोई दिलकी बात नहीं यारो -
सुविधा भी देखीं जाती हैं .
सूरज ना निकले तो अलावमें
आँखें सेकी जाती हैं .

वैसे कुछ ऐसी बात नहीं .
वो होता था ये होता है .
बस नाव एक ही होती है -
सवार बदलते रहते हैं .

Monday, August 11, 2014

ना देश ये चंद जहीनों का .

ना देश ये चंद जहीनों का .
कुछ लुच्चे और कमीनो का .
टूटी सीढ़ी और जीनो का .
ना ढाई इंची सीनों का .

ना सरकारी संगीनों का 
ना उतरी चूड़ी मीनो का .
फन सापोंके और बीनो का
छप्पर और टूटी टीनो का .

ना फ़िल्मी भांड गवैयों का
ना क्रिकेट के उन भइयों का .
ना सरकारी बेकाबू का -
दफ्तर के रिश्वत बाबू का .

ना माया का ना ममता का
ना टालू का ना लालू का .
ना पप्पू का ना अम्मा का .
न ऐसे किसी निक्कमे का .

ये देश है श्रमिक किसानो का
आज़ादी के परवानों का .
सरहद पर बैठे वीरो का
दुश्मन को दे जो चीरों का .

उन देश भक्त बलिहारों का
नेताजी की ललकारों का .
है भगत सिंह के प्यारों का .
हम देशप्रेम के मारों का .

Saturday, August 9, 2014

राखी का फिर आना क्या .

चले गए सो चले गए -
उनके पीछे जाना क्या .
पहले रोक लिया होता -
पीछे फिर पछताना क्या . 

कोई लक्ष्य नहीं साधा - 
जीना फिर मरजाना क्या 
प्रेम नहीं जिनके दिल में 
उनसे हाथ मिलाना क्या .

डूबे जो मझधार नहीं -
पहुचे वो उस पार नहीं .
राही मंजिल एक नहीं -
लहरों से टकराना क्या .

कोई नहीं बहाना क्या -
दिलको यूँ भरमाना क्या
घर में कोई बहन नहीं -
राखी का फिर आना क्या .

कोई खाली नहीं होता .

खिले हैं फूल गमलों में - जहाँ माली नहीं होता 
लगाएं दिल किसीसे क्या - कोई खाली नहीं होता .

ना मजनूंसा कोई मजनूं ना लैलासी कोई लैला 
गली मालों में लैला खोजती - खोया कहाँ छैला .

ना कोई दिल शुदा शादी ना कोई दिल कुंवारा है 
जवानी तीर है ऐसा की जिसने सबको मारा है .

कोई फल किसीको अब यहाँ ताज़ा नहीं मिलता 
कहीं रानी नहीं मिलती - कहीं राजा नहीं मिलता .

Monday, August 4, 2014

ये फिर कैसी जवानी है .

उड़े जो फूंक मारूं तो 
गिरे गशखा पुकारूं तो .
ये कैसी पौद उग आई 
जल उठे जो निहारु तो .

सभी कहते यही है सच 
मैं कहता हूँ कहानी है .
चढ़ी इस देश को यारो -
ये फिर कैसी जवानी है .

इश्क का रोग कबतक
पालते जायेंगे ये सारे .
किसी के आँख के मोती
किसी की आँख के तारे .

ना कोई माल बिकता है
ना पूछे भाव ही छैला .
ये मोबाइल ये चैटिंग -
माल जिनमे घूमती लैला .

ये क्या जो पा लिया इसने
सही तालीम न पायी .
पिता अधीर बैठा सोचता है
अभी क्यों बेटी घर नहीं आई .

Saturday, July 19, 2014

तू है कहाँ हिन्दुस्तानी .

कोई कुडमाई नहीं - 
डेटिंग पे जाती हैं जवानी .
हर नगर और शहर की 
अब एक जैसी है कहानी .

जैसा बोया काट लो अब - 
खाई गहरी पाटलो अब . 
आज तरुणोंकी अनोखी किस्म है 
रूह जिन्दा नहीं बस जिस्म है . 

ओढ़ चाहे ले विलायती
पर बिछा देसी बिछौना .
रोकना बसमें नहीं अब
हो रहा है जो है होना .

भोगियों की दास्ताने -
मत सुनो योगी जुबानी .
पढ़ लिया है पाठ अब -
तू है कहाँ हिन्दुस्तानी .

Monday, July 7, 2014

जमीर हूँ मैं .

जब चाहे - 
जहाँ चाहे - 
जैसे चाहे रख - 
रह लूँगा का .

नियति के दंश 
उफ्फ नहीं करूंगा 
संग तेरे - 
समभाव से -
सह लूँगा .

सच हूँ -
ना कोई -
सपना हूँ .
गैर नहीं -
तेरा अपना हूँ .


ना कोई रांझा -
ना हीर हूँ मैं
कोई और नहीं -
तेरे अंतर में बसा
जमीर हूँ मैं .

Sunday, July 6, 2014

धर्म अब व्यापार ही है

धर्म अब व्यापार ही है 
हरित सा ये थार ही है
प्यास का परिमाण झूठा - 
सिन्धु पूरा खार ही है .

गुरु मो सम है ना ग्यानी 
ना जो नानक ना फरीदो 
बिक रहा सस्ते में यारो 
मोक्ष का सपना खरीदो .

धूप में आराधना कर -
मन्त्र मिलता है जपो तो
द्रव्य की समिधा तो डालो
और थोडा सा तपो तो .

ईंटों पर हैं किसी के सर पर खड़े नहीं .

वो बचपन क्या जो - आपस में लडे नहीं 
वो परवत क्या जो - सीधे सीधे खड़े नहीं .

वो जिद भी क्या जो - यार कभी अड़े नहीं
होंगे एवरेस्टसे पर - हमसे ज्यादा बड़े नहीं .

भाव दो के ना दो तुम्हारी मर्जी - 
आशिक हैं कोई ऐसे गिरे पड़े नहीं 

प्यार क्या जिसमे लाते पड़े नहीं . 
वो गुस्सा ख़ाक जो चांटे जड़े नहीं .

वो बीवियां क्या जो हर दिन लडे नहीं
वो आदमी क्या हरबात पर अड़े नहीं .

पागल तो हैं यार पर इतने बड़े नहीं
ईंटों पर हैं किसी के सर पर खड़े नहीं .

ये मोदी भी कुछ ज्यादा बड़े नहीं -
करें कुछ फैसले पर ज्यादा कड़े नहीं .

राह वैसे बंद कोई है नहीं .

राह वैसे बंद कोई है नहीं .
बंदसा उपबंध कोई है नहीं .
प्रेयसी से द्वंद कोई है नहीं 
सांवरी सी गौर राधा भी नहीं 
गीत प्यारा छंद कोई है नहीं . 

प्रेमिका कमसिन है कोमल कामिनी
गज नहीं हिरनी सरीखी गामिनी 
लरजती है ना वो नाजुक बेल है .
पाश उसका है या कोई जेल है . 
न्यायकर्ता उस सरीखी ना मिले
उसके सम्मुख तो विधाता फेल है .

उसके होनेके हैं अपने फायदे
इश्क है ना प्यार जैसे कायदे .
रूठना मनुहार जैसा कुछ नहीं
प्यार में व्यवहार जैसा कुछ नहीं .
बंधा रहता हूँ मैं कच्ची डोर से
समर्पण अभिसार जैसा कुछ नहीं .

बहूत सीधी बात तुमसे कह रहा
तुकों में अतुकांत जैसा बह रहा .
अन्गृल प्रलाप जैसा भी नहीं
शीत में उत्ताप जैसा कुछ नहीं
पुन्य है ना पाप जैसा कुछ नहीं
पत्नी हो ना - आप जैसा कुछ नहीं .

मुक्तियों का द्वार हूँ मैं .

गीत गीता सा मधुर हूँ 
जीत किंचित हार हूँ मैं .
मैं विरह की वेदना हूँ - 
मिलन का विस्तार हूँ मैं .

अप्रकट कुछ प्रकट सा 
जो दिख रहा संसार हूँ मैं .
ढूंढना मुश्किल मुझे -
रहता क्षितिज के पार हूँ मैं .

चटकती जैसे शिरा हूँ  -
रक्त का संचार हूँ मैं  .
विश्व अणुसा बिखरता  -
रचना कभी संहार हूँ मैं  .

ढूंढ ले खोता नहीं हूँ -
अचेतन सोता नहीं हूँ .
ना कहीं तन्हाइयों में -
भीड़ में खोता नहीं हूँ .

मैं प्रणय की याचना हूँ
जिस्म की ना वासना हूँ
प्रेम की आराधना में -
मुक्तियों का द्वार हूँ मैं .

साथ तेरे रह रहा हूँ .

दौड़ता 
आवेग बनके 
जिस्म की -
इस वीथिका में .
चिर संचित -
प्राण अमृत -
डोलता जो -
वृक्ष की अंतिम 
शिरा में .

कौन हूँ मैं -
कह रहा है .
प्रीत का -
प्रतिबिम्ब हूँ
जो अश्रुओं में
बह रहा हूँ .

हे विरह के
भीत मानव
पीर मैं क्यों
सह रहा हूँ .
देख मन के
चक्षुओं से -
साथ तेरे -
रह रहा हूँ .

साथ तेरे रह रहा हूँ .

दौड़ता 
आवेग बनके 
जिस्म की -
इस वीथिका में .
चिर संचित -
प्राण अमृत -
डोलता जो -
वृक्ष की अंतिम 
शिरा में .

कौन हूँ मैं -
कह रहा है .
प्रीत का -
प्रतिबिम्ब हूँ
जो अश्रुओं में
बह रहा हूँ .

हे विरह के
भीत मानव
पीर मैं क्यों
सह रहा हूँ .
देख मन के
चक्षुओं से -
साथ तेरे -
रह रहा हूँ .