यूँ ही
Monday, September 30, 2013
कब नहीं
वहम हो जाए तो
हम क्या करें .
करी तुमसे महूब्ब्त
कब नहीं .
तुम्ही तो भूल जाते हो
अब तुमसे क्या कहें
करी हमने शिकायत
कब नहीं .
अब नहीं
अकेले चल रहें
संग रास्ते .
बहूत थे साथ -
लेकिन अब नहीं .
कटी तन्हाइयों में
जिन्दगी .
मगर उनसे
शिकायत अब नहीं .
प्यार गर खेल है
तो क्या हुआ .
बहूत बेमेल है
तो क्या हुआ .
हौसला है तो
लड़कर जीत लो -
मुक्कदर से -
शिकायत अब नहीं .
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