Friday, June 24, 2016

गगनमें उड़ता तिरंगा देखिये .

धर्मकी बातें नहीं करना सनम
तुरत हो जाएगा दंगा देखिये

राजनीति के हमीं तो केंद्र हैं
नहीं लेना हमसे पंगा देखिये

पिट गये जो पीटने आये हमें 
ये अजब गौरखधंधा देखिये

बात स्वार्थ की करो तो ठीक है
आदमी होता चौरंगा देखिये

बहती गंगा में नहाते सब मिले
आदमी को अलख नंगा देखिये

बहुर दिन फिरने लगेगें आपके
देश होता भला चंगा देखिये .

बकरियों सा मिमयाना छोड़दे
संघके संग नरासिंघा देखिये .

सप्तरंगी ये धरा सजने लगी -
गगनमें उड़ता तिरंगा देखिये .

Tuesday, June 21, 2016

अच्छे दिन आने वाले हैं .

चुनावी रणतो जीत लिया
पैरों में अब भी छाले हैं .
हारे सब हुए तलाकशुदा -
नववर मोदीजी वाले हैं .

अब तूफांसे घबराना क्या
लहरों ने जिनको पाले हैं .
जर्जर नौका संग डूब गये
जो नाव चलाने वाले हैं .

कहनेसे बात नहीं बनती
करते हैं जो मतवाले हैं .
पर एक बात तू मान यार -
मोदीजी हिम्मत वाले हैं .

जो कहते नहीं अधाते थे
हम चाय बेचने वाले हैं .
खोटे दिन गये नहीं भैया -
अच्छे दिन आने वाले हैं .

मोदीजी तो अनुकूल गये

ये कांग्रेसी पोती पोते
संसंद में जो ये ना सोते
जनता की फ़िक्र करी होती
यूँ जन आधार नहीं खोते .

चावल से निकले मांड गये
मिश्री के कुंजे खांड गये
कुछ पले पलाए सांड गये -
कुछ नेतासे कुछ भांड गये .

कुछ रुके हुए कुछ चालु से
कुछ आलुसे कुछ लालूसे
कुछ अप्पू से कुछ पप्पूसे
जो चल निकले बिन चप्पू से

ममता हो चाहे जयललिता
मिसमैरिज्म है इनका खलता .
मोदीजी तो अनुकूल गये -
पर पूर्व दक्षिण भूल गये .

Friday, June 17, 2016

जहाँ रस्सी वहां फंदे भी हैं .

धर्म उन्मांद की हद तक
आँख वाले हैं अंधे भी हैं
नफरतें सेलमें उपलब्ध
प्रेम के भाव मंदे भी है

खुले में उड़ते परिंदे भी हैं
इंसान हैं तो दरिंदे भी हैं .
जिन्दगी जीना बेखौफ -
मौत आए चार कंधे भी हैं

खुदा है खुदाके बन्दे भी हैं
मंदिर पुजारी है चंदे भी हैं
जरा बचके चलना दिल मेरे
जहाँ रस्सी वहां फंदे भी हैं .

Thursday, June 16, 2016

यार अब और क्यों खता करना

मुझे दुनिया रुला नहीं सकती
खुदा ने कह दिया हंसाकर ना
दीया सूरज बहुत हैं जलने को
किसीसे तू नहीं जला कर ना

मुझसे ना पूछ प्यार किनसे है
उसी से जाके तू पता करना .
बिछुड़ना लाज़मी लगे तुमको
जबभी जाए मुझे बता कर ना

मेरा रस्ता मंजिल तू ही तो है
फायदा क्या मुझे सताकर ना
माफ़ सब होगये कसूर मेरे -
यार अब और क्यों खता करना

धूल चढ़ जाती है रिश्तों पर भी
झाड़ फानूस सब सफा कर ना
फासले दरमियान दफा कर ना
तू सुबह शाम मिल लिया कर ना

Monday, June 13, 2016

भुक्तियों से मुक्तियाँ का दौर हूँ

विरल जल हूँ आग सा मुहजोर हूँ
मैं नहीं - कुछ और थोडा और हूँ .
आडा तिरछा गोल भी चोकोर हूँ .
हूँ उपेक्षित या काबिले गौर हूँ .

झांझ मंजीरा नहीं ढोलक नहीं .
आस्थाओं के कलश सब पूजते .
भक्त हैं प्रतिमा भी है भगवान भी
मंदिरों में घंटियों का शौर हूँ .

मान लेना -जान लो ये बात प्रभु
मैं तुम्हारे बिन बड़ा कमजोर हूँ .
लापता रहता हूँ मरकरके कभी
भुक्तियों से मुक्तियाँ का दौर हूँ .

भुक्तियों से मुक्तियाँ का दौर हूँ

विरल जल हूँ आग सा मुहजोर हूँ
मैं नहीं - कुछ और थोडा और हूँ .
आडा तिरछा गोल भी चोकोर हूँ .
सदा उपेक्षित या काबिले गौर हूँ .

झांझ मंजीरा नहीं ढोलक नहीं .
आस्थाओं के कलश सब पूजते .
भक्त हैं प्रतिमा भी है भगवान भी
मंदिरों में घंटियों का शौर हूँ .

मान लेना -जान लो ये बात प्रभु
मैं तुम्हारे बिन बड़ा कमजोर हूँ .
लापता रहता हूँ मरकरके कभी
भुक्तियों से मुक्तियाँ का दौर हूँ .

जुर्माना सबका भर देता .

ना रिद्धि ना कोई सिद्धि है .
तू ज्यादा ही कुछ जिद्दी है .
विद्या तो महा अविद्या है .
प्रसिद्धा शतप्रतिशत सिद्धा है

माया साधन है साधक है
वो राधा सब आराधक है
लक्ष्मी की पूजा करो यार
मंदिर पूजा सब बाधक है .

ना दोस्त कहो जी दुश्मन है
ना टस्या है ना मस्या है .
मायापति की वो ही जाने -
माया खुद विकट समस्या है .

माया पाकिटमें होती तो -
जुर्माना सबका भर देता .
जयकारों से जो जय होती -
जाने कितनों की कर देता .

Thursday, June 9, 2016

ताप झरता झारियों से .

खेत सूखे क्यारियों से
महकते गुल झाड़ियों से
तप रही सूरज सी धरती
ताप झरता झारियों से .

दग्ध हैं आशा ह्रदय में
बचके चल दिल खाड़ियों से
पेट की तृष्णा मिटे ना -
काम चलता पारियों से .

ये धधकता सा लगे है
जिस्म सूखे बाड़ियों से .
बहुत सूरज है निक्कमा
इसको काटो आरियों से .

द्वार खुल्ला ना मिले तो
झाँक लो घन बारियों से .
केश लहराओ सखे तुम
खुलके बिखरे नारियों से .

एक तुम आशा किरण हो
मेघ रंग लगता है प्यारा
आओ स्वागत है तुम्हारा
अब तुम्हारा ही सहारा .

वही फिदरत पुरानी है .

ना कोई पूछता हमको
ना अपनी राय जानी है .
वही अंदाज़ हैं अपने -
वही फिदरत पुरानी है .

कसम खाके जो कहता हूँ
वो यारो झूठ कहता हूँ .
कोई कहता रहे कुछ भी -
मैं अपनी धून में रहता हूँ .

किराए दार हूँ यारो
किराया दे नहीं सकता .
जेब रहती सदा खाली -
नया घर ले नहीं सकता .

बड़ा ही आम सा मैं हूँ
कौनसी तू भी रानी है .
नया कुछ भी नहीं यारा -
कहानी ही पुरानी है .

अलग सा दिख रहा हूँ मैं
अलग सा हूँ नहीं लेकिन .

Saturday, June 4, 2016

ना कडुआ हूँ ना दागी हूँ .

तेरे सपने तेरे ही हैं -
मैं इनका दावेदार नहीं .
आ जाएँ मेरी आँखों में -
मैं इसका जिम्मेदार नहीं .

जो झूठ कहूं तो भागी हूँ .
ना चाहूँ कुछ तो त्यागी हूँ .
खट्टा मीट्ठा सा फल यारो -
ना कडुआ हूँ ना दागी हूँ .

मेरी छोटी सी अर्जी है
आगे फिर तेरी मर्जी है .
पाने की आस रखे कोई
वो प्यार नहीं खुदगर्जी है .

खुदको पहले नमन करें हम

पत्थर पत्थर पूजे हमने -
मंदिर मंदिर गमन करें हम .
इससे बेहतर तो है यारो -
खुद को पहले नमन करें हम .

इंसानों की दुनिया है ये
पत्थर में फिर रखा क्या है .
घर पत्थर मंदिर भी पत्थर
पत्थर का दिल पत्थर सा है .

रूठे देव नहीं पिघलेंगे -
ना ऐसा कुछ होने का है .
दीवारे संगमरमर की हों -
चाहे दीपक सोने का है .

हमसे अच्छा बेहतर ना हो
कोई भी इस कायनात में .
वही प्रभु को प्यारा होता -
जिसके दुनिया रहे साथ में .

Friday, June 3, 2016

आज तुमसे कह रहा हूँ .

छोड़ धरती 
आशियाँ सब . 
पंछियों सा -
आज नभ में 
रह रहा हूँ - 
प्यार पिंजरे से
नहीं अब -
आज तुमसे -
कह रहा हूँ .

स्वीकार है

 जीत है -
या हार है . 
इर्ष्या या -
प्यार है .
जो हमें बक्शी गयी 
ये जिन्दगी .
जो भी है -
जैसी भी है -
स्वीकार है .

क्षणिकाएं

खासियत कोई तो है
हममे हुजुर .
वर्ना हम जैसा कोई तो
मिल गया होता .

मैं कोई शीशा नहीं पत्थर नहीं -
सुनो यारा आज तुमसे कह रहा .
मैं कोई दरिया नहीं सागर नहीं -
विरलसा इक स्नेह निर्झर बह रहा .

कह रहें हैं लोग सारे -
था अभी तक तो यहाँ मैं .
ढूंढके सब थक गए हैं 
मर गया जाने कहाँ मैं .

दिल नहीं बच पायेगा अब दोस्तों 
इश्क का उमड़ा समंदर देखिये .
नापका जूता अगर मिलता नहीं -
हर गली हर माल मंदिर देखिये .

दोस्त मेरे क्या बताएं
हीर मेरी पीर सी है .
और कुछ दिखता नहीं - 
तस्वीर में तस्वीर सी है .

कोई तख्ती नहीं
स्याही कलमसे
लिखे हर कोई .
शायरी दिलसे करते हैं -

जलाना दिलको पड़ता है .