Friday, June 3, 2016

क्षणिकाएं

खासियत कोई तो है
हममे हुजुर .
वर्ना हम जैसा कोई तो
मिल गया होता .

मैं कोई शीशा नहीं पत्थर नहीं -
सुनो यारा आज तुमसे कह रहा .
मैं कोई दरिया नहीं सागर नहीं -
विरलसा इक स्नेह निर्झर बह रहा .

कह रहें हैं लोग सारे -
था अभी तक तो यहाँ मैं .
ढूंढके सब थक गए हैं 
मर गया जाने कहाँ मैं .

दिल नहीं बच पायेगा अब दोस्तों 
इश्क का उमड़ा समंदर देखिये .
नापका जूता अगर मिलता नहीं -
हर गली हर माल मंदिर देखिये .

दोस्त मेरे क्या बताएं
हीर मेरी पीर सी है .
और कुछ दिखता नहीं - 
तस्वीर में तस्वीर सी है .

कोई तख्ती नहीं
स्याही कलमसे
लिखे हर कोई .
शायरी दिलसे करते हैं -

जलाना दिलको पड़ता है .




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