Monday, June 13, 2016

भुक्तियों से मुक्तियाँ का दौर हूँ

विरल जल हूँ आग सा मुहजोर हूँ
मैं नहीं - कुछ और थोडा और हूँ .
आडा तिरछा गोल भी चोकोर हूँ .
सदा उपेक्षित या काबिले गौर हूँ .

झांझ मंजीरा नहीं ढोलक नहीं .
आस्थाओं के कलश सब पूजते .
भक्त हैं प्रतिमा भी है भगवान भी
मंदिरों में घंटियों का शौर हूँ .

मान लेना -जान लो ये बात प्रभु
मैं तुम्हारे बिन बड़ा कमजोर हूँ .
लापता रहता हूँ मरकरके कभी
भुक्तियों से मुक्तियाँ का दौर हूँ .

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