Wednesday, November 30, 2016

ना मोदी सा इतराता हूँ

लिखने से रोटी चलती है
लिखने पे गाली खाता हूँ
मैं भक्त नहीं हूँ मोदी का
मैं आज तुम्हें बतलाता हूँ

अब मेरी छोड़ कहो अपनी
क्यों भौंक रहे पट्टा पहने
न कज़री जैसी बात करू
ना मोदी सा इतराता हूँ

माया ममता पप्पू लालू
मैं सबपे कलम चलाता हूँ
सरहद न खींची है कोई
बेधड़क कहीं भी जाता हूँ

मैं दिलकी बाते करता हूँ
मैं दिलसे तुम्हे सुनाता हूँ
अपनी तो छोटी हस्ती है
फिरभी पहचाना जाता हूँ .

मैं लिखके बातें करता हूँ
मन ही मन में गुर्राता हूँ
मीठी पुड़िया से काम चले
तो टीका नहीं लगाता हूँ .

Saturday, November 19, 2016

कैसे बजे सितार .

जनता भूखी भेड है
नेता रँगे सियार .
चांटे से कुछ न बने
जूते मार उतार .

चलते चलते थक गये
देख करम की मार .
गांधी बदरंग हो गये
कैसे होए उद्धार .

चाहे जैसे जीत हो
दिल ना माने हार .
उतर उतर के चढ़ रह्यो
जैसे जूडी बुखार .

कजरी एकल गीत है
ना गाये दो बार .
झूठे बेसुर गीत हैं
कैसे बजे सितार .

Thursday, November 10, 2016

इनके घरमे भी कोई बीमार होना चाहिए .

दुश्मनो से अब नहीं मनुहार होना चाहिए
चाहे आहिस्ता करो - पर वार होना चाहिए .

लिख दिया है आजका सच सब तुम्हारे सामने
पीड़ितों का कोई पैरोकार होना चाहिए .

सोच शासनकी हमारी समझ में आने लगी
देश का हर नागरिक - लाचार होना चाहिए .

हार पे मंथन - नतीजे सामने हैं दोस्तों
आमजन से सीधा सरोकार होना चाहिए .

जीतका चन्दन नहीं तो हारकी खुशबू सही 
हर गलीमें इत्रका - व्यापार होना चाहिए .

गर विदेशी सैरसे फुर्सत नहीं मिलती इन्हें
इनके घरमे भी कोई बीमार होना चाहिए .

थक गए मीठेसे मोदी मशवरा है दोस्तों
मिठाई के संग थोड़ी खार होनी चाहिए .

हार कर आये इन्हें आराम करने दीजिये
फिर नया इक काफिला तैयार होना चाहिए .

भूख पैसेकी नही मिटती यत्न कर लीजिये
टैक्स का माया पे ना अधिकार होना चाहिए .

मौज़ बाबाओं के जैसी हो नहीं सकती कभी
जेल में भी नायिका का प्यार होना चाहिए .

चाहे अर्जुनसे कहो या खुद पधारो श्यामजी
कुछतो हल्का इस धराका भार होना चाहिए .

चिड़ीमारी से किसी की भूख मिटने से रही 
मांस कौए का हो लेकिन भार होना चाहिए .

देसी मुर्गी शोक से मर जाएँगी फिर दोस्तों 
दाल देसीका नही प्रचार होना चाहिए .

एक मोदी से गुज़ारा अब नहीं है दोस्तों
सैंकड़ों मोदी नया तैयार होना चाहिए .









Wednesday, November 9, 2016

ढूंढ ले मुझको हर जगह हूँ मैं

तेरी हिफाज़त में ही लुटा हूँ मैं
पूछ मत कौनसी जगह हूँ मैं .
ठिकाना कोई एक ठौर नहीं -
ढूंढ ले मुझको हर जगह हूँ मैं .

दूर रह वर्ना जल जाओगी
देख जलती अगन चिता हूँ मैं .
नफरतें ढूँढने नहीं जाओ -
प्रेम पीड़ा में मर मिटा हूँ मैं .

तेरे हिस्से के गम उठायें हूँ
कौन कहता है ग़मज़दा हूँ मैं .
ख़ुशी सा आया बिन बुलाये हूँ
सभी कहते छलावा बला हूँ मैं .

ढूंढ लेते जो दिलमे तड़प होती -
उसी जगह हूँ कहाँ हिला हूँ मैं .
तेरे वज़ूद में हर कहीं छिपा हूँ मैं
क्या बताऊँ अब कहाँ कहाँ हूँ मैं .

Tuesday, November 1, 2016

नंगे पाँव जुराब

नेता वो खोटा नही
जो ना आये हाथ .
खोटों के देखे यहाँ -
बहुविध हमने ठाठ .

राजा सिंहासन सजे
प्रजा दबाये चरण .
अब कैसा धिक्कारना -
जब किया स्वयंवर वरण .

राजाशाही ना हटे -
देखो मत ये ख्वाब
जूतों की बारात में -
नंगे पाँव जुराब .