Thursday, June 9, 2016

ताप झरता झारियों से .

खेत सूखे क्यारियों से
महकते गुल झाड़ियों से
तप रही सूरज सी धरती
ताप झरता झारियों से .

दग्ध हैं आशा ह्रदय में
बचके चल दिल खाड़ियों से
पेट की तृष्णा मिटे ना -
काम चलता पारियों से .

ये धधकता सा लगे है
जिस्म सूखे बाड़ियों से .
बहुत सूरज है निक्कमा
इसको काटो आरियों से .

द्वार खुल्ला ना मिले तो
झाँक लो घन बारियों से .
केश लहराओ सखे तुम
खुलके बिखरे नारियों से .

एक तुम आशा किरण हो
मेघ रंग लगता है प्यारा
आओ स्वागत है तुम्हारा
अब तुम्हारा ही सहारा .

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