Monday, February 23, 2015

प्यार ठंडी आग है गल जाएगा .

जाए तो फिर हम कहाँ जाएँ -
शामको सूरज भी ढल जाएगा .

सूर्य का मत आसरा लेना -
तू दहकती आग में जल जाएगा .

आसमां में रह नहीं सकते -
चाँद तारों को भी खल जाएगा .

प्यार करना ना किसीसे तू -
घरमे प्यारे सब पता चल जाएगा .

पीर हिमनद सी ठिठुरती है -
प्यार ठंडी आग है गल जाएगा .

Wednesday, February 18, 2015

सुहाना सफ़र अब सुहाना नहीं है .

गुज़रते गुज़रते गुज़र ही गयी जी
सुहाना सफ़र अब सुहाना नहीं है .
सड़क के किनारे खड़े होके खाना
अब मक्की के भुट्टोंमें दाना नहीं है .

बढा पेट मैं गोल सा हो गया हूँ -
था सॉलिड अब खोलसा हो गया हूँ
सधे बांस की बांसुरी था कभी मैं
मगर यार अब ढोल सा हो गया हूँ .

वो मस्ती नही वो तराना नही है -
हंसी साथ का अब बहाना नहीं है .
रंगे बाल हँसते हैं सूरत पे मेरी -
नाती कहे ये मेरे - नाना नहीं है .

थे सपने वो कबके सफ़र कर गये हैं
बच्चे हमे - 'बूढों के घर' कर गये हैं
मुश्किल से दिलको मैं बहला रहा हूँ
दिलेनादां ये अपना ज़माना नहीं है .

Wednesday, February 4, 2015

मिलन की रात ना आई .

यूँ भारी भीड़ तो आई मगर 'वो' ख़ास ना आई .
यूँ यारो होश तो आया मगर फिर सांस ना आई .

जमाने की करी परवाह वो हरदम पासना आई .
महूब्ब्त छोडिये जी - दोस्ती भी रास ना आई .

सभी थे फूल कागज़के कहींसे बॉस ना आई
मरू में फूल फल तो छोडिये जी घास ना आई .

अमा की कालिमा से हमने सूरज पोत डाला था
सुनहरी शाम तो आई - मिलन की रात ना आई .

कभी मौसमकी मानिंद हम बदलना सीखना पाए
घटाएं उमड़ कर छाई - मगर बरसात ना आई .

जमाने भर की बातें कह गये अपनी जुबाँ से वो
मगर हमसे महूब्ब्त की तो कोई बात ना आई .

Sunday, February 1, 2015

मैं इन्कलाब बेचता हूँ .

बहूत हो गये जी संभलते नहीं है -
पुराना मैं चुकता हिसाब बेचता हूँ 
ये नेता गवैये और खेलों के भैये .
खरीदो लो - पूरी जमात बेचता हूँ .

खादीकी किस्म खराब बेचता हूँ .
मफ़लर टोपी - जुराब बेचता हूँ .
हर पाँव में फिट आ जाए वो जूता -
चेहरे रूपोश हो वो नकाब बेचता हूँ .

चीज़ ऐसी मैं इक नायाब बेचता हूँ .
गुलामी का जिन्दा सुहाग बेचता हूँ .
देशद्रोहियों को तेज़ जुलाब बेचता हूँ 
बोलो खरीदोगे मैं इन्कलाब बेचता हूँ .