Monday, February 15, 2016

खुदा जब मेहरबां होगा .

घडी भर का फ़साना है -
जो सदियों में बयाँ होगा
जमीं ऐसी नहीं होगी -
ना ऐसा आसमां होगा .

हमारा घर वहीँ होगा -
कहीं फिर चाँद तारोंमें .
महकते गुल खिलेगे
देखना कलकी बहारों में

नहीं मेरा पता होगा -
नहीं तेरा निशाँ होगा .
ग़ज़ल ये गुनगुनाता
देखना सारा जहाँ होगा .

महूब्ब्त जिन्दा रहती है
जहाँ में मर नहीं सकती .
जिस्म चाहे जुदा करदे
रूह को कर नहीं सकती

दुआएं दे रहा सबको -
कहें सब फ़रिश्ता होगा
रहमतें तब बरसती हैं -
खुदा जब मेहरबां होगा .

Wednesday, February 10, 2016

हक जताना छोड़ दे


पेश्तर तो है मेरे दिल 

दिल लगाना छोड़ दे .

मुफ्त कुछ मिलता नहीं 

तू मुफ्त खाना छोड़ दे .

घर नया ले कोई मेरे 

दिलमे आना छोड़ दे .

महंगे सस्ते का बड़ा 

लचर बहाना छोड़ दे .

या अभी बन जा मेरा -

या हक जताना छोड़ दे .

पाप अब क्या कमाने हैं

उन्हें मैं ढूंढता रहता जो
खुशियों के खजाने हैं .

नयी सी बात लगती हो -
नए अब घर बसाने हैं .


नए रिश्ते समझने हैं -
नए सपने सजाने हैं .

जो फूटे ढ़ोल जैसे हैं -
उन्हें अब क्या बजाने हैं .

कसम उड़ान झल्ले की
ये सब दिलके बहाने हैं .

उम्रके दौर में अंतिम -
पाप अब क्या कमाने हैं .