Monday, January 6, 2014

जीवन पर विश्वास यही है

यूँ जीवन की -
सांझ हो गयी .
और कुँवारी आशाएं
सब विधवा होकर
बाँझ हो गयी .

अंतर का कोलाहल
कलरव - प्रकट हुआ
अश्रुजल तर्पण .

हुआ पराभव - 
वैभव मन का -
करना है अब -
किसको अर्पण .

सूरज था इक -
जलता फोड़ा .
चाँद गगन में -
जले निगोडा .


सावन जैसी -
प्यास नहीं पर
बूंदों ने फिर -
किसको छोड़ा .

कल फिर से
होगा आरोहण .
आज नहीं बस -
आज यही है .


मैं जीवन से -
हार सका ना
जीवन पर -
विश्वास यही है .

सही तो सही है

सही तो सही है -
गलत को सही कर
बहूत हो गया -
ना नुकर तो नहीं कर .

ये परदे के राजा
बेपर्दा सी रानी .
अजब है नज़ारा -
गज़ब है कहानी
गुलामों की दुनिया -
हुकुम नहीं कर .

बहूत हो चूका -
खार खाने से क्या है
हुकूमत में यारो -
मजा ही मज़ा है .


चूना लगा -
ना ही कत्था लगा है .
बड़ा आम सा -
आज ख़ास हो गया है .
जो सच है - तो मानो
वहम तो नहीं कर .

बदल जायेगी कैसे -
वोटों से दुनिया -
ये नोटों की दुनिया -
ये चोट्टों की दुनिया .


लुढ़कते हुए -
गोल लोटों की दुनिया .
रहूँ जिन्दा - इतना
सितम तो नहीं कर .

गिल्टी मत कर फील

नहीं भाग ये जाएगा 
कहीं तेरा ये देश .
रहने दे दो चार दिन 
ठोक ना सर में पेच . 

थोडा खाया है अभी - 
भरा नहीं है पेट 
हम कंगले हैं जन्म से 
महंगा अपना रेट .

पुरखों का ये देश है 
हमको ही ये सोय 
दिल्ली मेरे बाप की 
कभी ना तेरी होय . 

बोतल पर ढक्कन लगा 
करदे बेटा सील .
बुरा नहीं इसमें कछु 
गिल्टी मत कर फील .