Wednesday, April 30, 2014

पुरानी याद - फिर शोले हुए हैं .


चाँद आधा -

मंद होता -

दीया बाती .
मंद शीतल -
चांदनी मन को
ना भाती .

फिर पुरानी
याद के खोलें
झरोखे - आओ
बांचें प्रेम पाती .


पखेरू लौटकर -
सब आ गए हैं -

हवा ने आज

'पर' खोले हुए हैं .

बुझी चिंगारियों को -
छू लिया जो
पुरानी याद -
फिर शोले हुए हैं .

पुरानी याद - फिर शोले हुए हैं .


चाँद आधा -

मंद होता -
दीया बाती .
मंद शीतल -
चांदनी मन को
ना भाती .
फिर पुरानी
याद के खोलें
झरोखे - आओ
बांचें प्रेम पाती .


पखेरू लौटकर -
सब आ गए हैं -

हवा ने आज
'पर' खोले हुए हैं .
बुझी चिंगारियों को -
छू लिया जो
पुरानी याद -
फिर शोले हुए हैं .

Thursday, April 24, 2014

तुम क्या चाहते हो .

कभी थपकियाँ दे सुलाते हो 
मुझे जागने नहीं देते .
ऊँगली पकड़ धीरे चलते हो - 
मुझे भागने नहीं देते .
कभी गहरी नींद से - 
झिंझोड़ आवाज़ दे जगाते हो 
कभी गैर से कभी 
मेरे नितांत अपने बन जाते हो .
आज तक मैं नहीं जान पाया 
प्रभु मैं क्या चाहता हूँ - 
और तुम क्या चाहते हो .

ये भेट मेरी स्वीकार करो .

कंचनके सुंदर महल तेरे
सोने से लदा हुआ है तू .
मैं कैसे आऊँ मिलने को
हैं द्वार लगे पहरे भारी .

तू लूट जाए ना खो जाए -
इसपर ही ध्यान लगाएं हैं
पाजाऊं ना मैं कुछ तुझसे
इसपर वो नज़र टिकाये हैं .

मैं निर्धन दीन सुदामा हूँ -
तुम मेरा कृष्ण मुरारी है .
रिश्ते में हम हैं मित्र मगर
क्यों पहरे तुम पर भारी हैं .

दिल भरा हुआ है भावों से -
मैं खाली हाथ नहीं आया .
कुछ अपनी कहो सुनो मेरी
बाकी कुछ साथ नहीं लाया .

इक बात कहूं गर मानो तो
पहले इन सबको बाहर करो .
दो मुट्ठी चावल लाया हूँ -
ये भेट मेरी स्वीकार करो .

Tuesday, April 22, 2014

किसीको अपना बना लो या किसीके हो जाओ .

नींद तेरी है रात तेरी है 
गुम अँधेरों में - 
ना कहीं तुम हो जाओ .
ख्वाब तेरे हैं किसीके -
ख्वाब में ना खो जाओ .
ये सही बात कही है -
किसी ने यारो - 
किसीको अपना बना लो 
या किसीके हो जाओ .

Saturday, April 19, 2014

ये तेरा अंतिम वरण है .

भौर का तारा दिखा है 

रात का अंतिम चरण है .

वोट से तकदीर बदले -

ये तेरा अंतिम वरण है .



फिर नहीं अवसर मिलेगा  

फिर न कोई साथ होगा .

अब ना पंजे से बचा तो - 

हर गिरेबाँ चाक होगा .



सोचना क्या यार मेरे 

और कितना सोचना है .

आ रही है सुबह प्यारी -

पाश्र्व में कोहरा घना है .



कमी उनकी भूल जा अब 

ना कमी हो - तेरे अंदर .

हार ना जाए कहीं पुरु -

जीत ना जाय सिकन्दर .

Thursday, April 17, 2014

आज हमसे ना कहो कुछ


आज हमसे ना कहो कुछ  
आज आपे में नहीं हूँ .
प्रसूता हूँ मैं अभी तक -
मगर 'जापे' में नहीं हूँ .

ख़ास से भी ख़ास होता
गर मेरा विश्वास होता .
पतिव्रता हूँ अभी तक
मैं रंडापे में नहीं हूँ .

देह से दिल तक - मेरे
लाखों जो पहरे हैं बिठाए
क्या मजाल है किसी की - 
मुझ तलक जो पहुँच पाए .

अलगनी पर हैं टंगी -
मेरी सभी आकांक्षाएं
है भरा गुब्बार मन में -
ये व्यथा किसको सुनाएँ .

चंडिका का रूप हूँ मैं
देख चढ़ती धूप हूँ मैं .
दानवी - देवी स्वरुपा
एक अद्भूत रूप हूँ मैं .










अब तेरा - होना नहीं है .

जागना - सोना नहीं है
उम्र भर रोना नहीं है .
कितने रंगी ख्वाब हों  - 
पर नींद में खोना नहीं है .

नभ से अच्छी छत है और
धरा सी सेज अच्छी
ईंट गारे के मकाँ में -
कैद अब होना नहीं है .

तैर करके पार जाना
अब मेरा मुमकिन नहीं है
नाव लहरों के सफ़र में -
सिन्धु सा होना नहीं हैं .

सर टिकाकर रो सकूं मैं
ना कहीं कान्धा कोई है .
नींद भर कर सो सकूं मैं .
अब कोई कोना नहीं है .


रब मेरा राखा मुझे वो
दे ही देगा जो भी चाहूँ .
चाहे कोई ना मिले पर
अब तेरा - होना नहीं है .

फेस हूँ पर बुक नहीं हूँ

फेस हूँ पर बुक नहीं हूँ 
जो है सच वो लुक नहीं हूँ .
शेर हूँ पूरा मगर - बस 
सही हो वो तुक नहीं हूँ .

बेतुका बेमेल सा हूँ -
जमूरे का खेल सा हूँ .
पेड़ या कुछ बेल सा हूँ 
बिक रहा ना सेल सा हूँ .

थोडा सा मैं हूँ घमंडी -
नार नर ना हूँ शिखंडी .
आह भरता हूँ मैं ठंडी
बिकुंगा ले जाओ मंडी .

बारिशों के दौर भी हैं -
शाम भी है भौर भी है .
मैं अकेला ही नहीं हूँ
मैं भी हूँ कुछ और भी हैं .

छोड़कर जाना कठिन है
यार अब सारे यहाँ हैं .
क्या करूंगा पार जाकर
तीर पर ना कश्तियाँ हैं .

Tuesday, April 15, 2014

जिन्दगी माटी नही ये

जिन्दगी माटी नही ये 
जिन्दगी सोना नहीं है .
चाहे जैसी भी है प्यारे 
पर इसे खोना नहीं है .

लिजलिजी बेकार भी है 
जीत भी है हार भी है .
नफरतों की बात मतकर 
प्यार है मनुहार भी है .

भीड़ है तन्हाईयाँ भी -
रूप की अमराइयाँ भी .
ना कोई सीढ़ी सड़क ये
खंदकें हैं खाइयां भी .

ख्वाब मीठे हैं मगर -
यूँ नींद भर सोना नहीं है .
टूट जाए ख्वाब कोई -
उम्र भर रोना नहीं है .

Sunday, April 13, 2014

वीतरागी आ गया जाने कहाँ से .

है कहीं कोई हवा में 
मौन है पर .
तू नहीं है मैं नहीं हूँ 
कौन है पर .

रात पूछे -
स्वप्न ये 
सोये कहाँ थे .
अर्थ पूंछे - प्रश्न 
ये खोये कहाँ थे .

आ रही खुशबु -
खड़े हो तुम जहाँ से
वीतरागी आ गया
जाने कहाँ से .

काश क्यों होता नहीं है .

एक सुंदर आसमां हो 
और सुंदर सी धरा हो 
बीचमें हम तुम कहीं हों 
बादलों का कारवां हों .

चाहे खिलती धूप हो या 
कोहरा चाहे घना हो .
खिलखिलाती सी हंसी 
रोना जहाँ बिलकुल मना हो .

चाहता हूँ तोड़ लाऊं
आज सब अम्बर के तारे
जैसे राधा श्याम की है
हम भी हो जाएँ तुम्हारे .

चांदनी ज्यों चाँद की है
तुम भी ऐसी प्रीत पाओ .
मीत पाओ - गुनगुनाओ
दूर हो कुछ पास आओ .

जुगनुओं की चमक से
प्रकाश तो होता नहीं है .
चाहता है दिल बहूत पर
काश क्यों होता नहीं है .

Friday, April 11, 2014

राम जाने क्या सही है .

बात उसने भी कहीं थी .
बात मैंने भी कही है .
कौन जाने क्या गलत है 
राम जाने क्या सही है .

खुदसे खुद को जानना है 
अब कोई आना नहीं है . 
प्यार के आवाम नापे .
कोई पैमाना नहीं है .

सब गलत होते नहीं हैं .
मैं गलत हूँ मानता हूँ .
फिर जिरह क्यों ठानता हूँ .
यक्ष प्रश्नों से जो जूझे
क्यों युधिष्ठर अब मैं
खुद को मानता हूँ .

Thursday, April 10, 2014

धूप में बरसात यारो .

रूप लिपटा साड़ियों में 
धूल बैठी झाड़ियों में .
खून बहता नाडीयों में
बोतलों में ताडियों में . 

लोग चलते गाड़ियों में 
नाव चलती खाड़ियों में .
दोस्त रहते जंगलों में 
शहर जीता पारियों में .

फूल खिलते क्यारियों में 
रूप जीता नारियों में .
प्यार मिलता किश्त में

और ब्याज देते गालियों में .

क्या अजब ये ढंग यारो -
क्या गज़ब की बात यारो
बदलते मौसम प्रतिपल
धूप में बरसात यारो .

क्यों कहूं ये भौर ही है .

रात की हर बात झूठी -
क्या मिली जो रात बीती .
शाम जलती कोयले सी -
दिन ढला सा सुबह रीती .

मिलगयी जिसको मिलीसी 
कलि वो जैसे खिली सी .
खार की हर बात झूठी - 
शाख वो जैसे हिली सी .

आइना कुछ भी नहीं है -
सच मगर कुछ और ही है .
रात दिन सा हो भले पर
क्यों कहूं ये भौर ही है .

Thursday, April 3, 2014

मना को इकरार लिखता जा रहा हूँ .

प्यार या श्रृंगार लिखना चाहता मन 
जाने क्यों अंगार लिखता जा रहा हूँ .
मधुरस की बात करता ही नहीं दिल - 
समंदर की खार लिखता जा रहा हूँ .

रंजों गम की बात क्या करना जरुरी 
दुःख खुशीके द्वार लिखता जा रहा हूँ .
प्रेम का इतिहास फुर्सत में पढूंगा - 
प्यार का बस सार लिखता जा रहा हूँ . 

तीर पर रहने को दिल करता नहीं है
कश्तियो से प्यार लिखता जा रहा हूँ .
जाने क्या ये हुआ है मुझको सुबह से
मना को इकरार लिखता जा रहा हूँ .