Sunday, January 31, 2016

इक कलिसे हार बैठा था भ्रमर .

भौरका तारा दिखा और दिन हुआ
ख़ास यूँ तो बात - कोई है नहीं
धूप चारो और है छिटकी हुई
चांदनी सी रात कोई है नहीं .

नवगृह और तारसप्तक तू बता
क्यों ढूलाये जारहे आखिर चंवर
चौक पूरे और मंगलगान थे -
इक कलिसे हार बैठा था भ्रमर .

पुष्प कुछ मुरझाये सेहरेकी अभी
गये दिन वो आज बीती बात है .
रंगनी का संग मधुरिम है बना -
आज जीवन संगिनी जो साथ है .

( विवाहकी 37वीं वर्षगाँठ पर)

Saturday, January 23, 2016

ये जो बोल मैंने - कहे नहीं .

नई बात है -
नये दौर हैं .
ये तरीकाए -
नए तौर हैं .
वो जो आदमी सा 
न लगा कहीं -
तू कुछ और है -
ये कुछ और है .

चली जिन्दगी -
अब ढलान पे
हैं परिंदे -
अगली उड़ान पे
नया तीर - अब
है कमान पे .
खड़ा शेर अब -
है मचान पे .

न हुआ असर
ना रही कसर
वो बचे नहीं -
ये रहे नहीं .
जो सुना है -
तूने गलत सुना
ये जो बोल मैंने -
कहे नहीं .