तेज़ अंधड़ चल रहें हों
पर ना कोई शाख टूटे .
चाहे पीले पड़ गए हों
शाख से ना पात छूटे .
रूठ जाए पर खुदा ना
यार बस ग़मगीन ना हो
चाहे लुट जाए सभी कुछ
बेज्जती का सीन ना हो .
मान रह जाए हमारा -
धड पे चाहे सर नहीं हो .
फूल जैसी ना सही पर -
जिन्दगी पत्थर नहीं हो .