Wednesday, October 7, 2015

वंदनमें क्यों कृन्दन सा है .

बाबा बापू की भीड़ बहुत -
क्यों हल्दी ये चंदनसा है .
तुम भी मुस्काते नही प्रभु -
वंदनमें क्यों कृन्दन सा है .

आनन् त्रिपुंड लगाए जो -
कुछ छैल बिहारी बांके हैं .
हाथों में पुस्तक गीता है -
स्वामी के संग संगीता है .

जो माइक पर चिल्लाये हैं
कितने अर्जुन समझाए हैं ?
शिष्याओं की है फौज बड़ी -
लाखों ही शिष्य बनाये हैं .

हानिकी ना गुंजाइश है -
सबसे आसान रवैया है .
संग सजनी अम्मा भैया है
माया लख टक्का सवैया है .

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