Thursday, April 17, 2014

आज हमसे ना कहो कुछ


आज हमसे ना कहो कुछ  
आज आपे में नहीं हूँ .
प्रसूता हूँ मैं अभी तक -
मगर 'जापे' में नहीं हूँ .

ख़ास से भी ख़ास होता
गर मेरा विश्वास होता .
पतिव्रता हूँ अभी तक
मैं रंडापे में नहीं हूँ .

देह से दिल तक - मेरे
लाखों जो पहरे हैं बिठाए
क्या मजाल है किसी की - 
मुझ तलक जो पहुँच पाए .

अलगनी पर हैं टंगी -
मेरी सभी आकांक्षाएं
है भरा गुब्बार मन में -
ये व्यथा किसको सुनाएँ .

चंडिका का रूप हूँ मैं
देख चढ़ती धूप हूँ मैं .
दानवी - देवी स्वरुपा
एक अद्भूत रूप हूँ मैं .










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