Sunday, April 13, 2014

काश क्यों होता नहीं है .

एक सुंदर आसमां हो 
और सुंदर सी धरा हो 
बीचमें हम तुम कहीं हों 
बादलों का कारवां हों .

चाहे खिलती धूप हो या 
कोहरा चाहे घना हो .
खिलखिलाती सी हंसी 
रोना जहाँ बिलकुल मना हो .

चाहता हूँ तोड़ लाऊं
आज सब अम्बर के तारे
जैसे राधा श्याम की है
हम भी हो जाएँ तुम्हारे .

चांदनी ज्यों चाँद की है
तुम भी ऐसी प्रीत पाओ .
मीत पाओ - गुनगुनाओ
दूर हो कुछ पास आओ .

जुगनुओं की चमक से
प्रकाश तो होता नहीं है .
चाहता है दिल बहूत पर
काश क्यों होता नहीं है .

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