Thursday, April 3, 2014

मना को इकरार लिखता जा रहा हूँ .

प्यार या श्रृंगार लिखना चाहता मन 
जाने क्यों अंगार लिखता जा रहा हूँ .
मधुरस की बात करता ही नहीं दिल - 
समंदर की खार लिखता जा रहा हूँ .

रंजों गम की बात क्या करना जरुरी 
दुःख खुशीके द्वार लिखता जा रहा हूँ .
प्रेम का इतिहास फुर्सत में पढूंगा - 
प्यार का बस सार लिखता जा रहा हूँ . 

तीर पर रहने को दिल करता नहीं है
कश्तियो से प्यार लिखता जा रहा हूँ .
जाने क्या ये हुआ है मुझको सुबह से
मना को इकरार लिखता जा रहा हूँ .

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