भौर का तारा दिखा है
रात का अंतिम चरण है .
वोट से तकदीर बदले -
ये तेरा अंतिम वरण है .
फिर नहीं अवसर मिलेगा
फिर न कोई साथ होगा .
अब ना पंजे से बचा तो -
हर गिरेबाँ चाक होगा .
सोचना क्या यार मेरे
और कितना सोचना है .
आ रही है सुबह प्यारी -
पाश्र्व में कोहरा घना है .
कमी उनकी भूल जा अब
ना कमी हो - तेरे अंदर .
हार ना जाए कहीं पुरु -
जीत ना जाय सिकन्दर .
रात का अंतिम चरण है .
वोट से तकदीर बदले -
ये तेरा अंतिम वरण है .
फिर नहीं अवसर मिलेगा
फिर न कोई साथ होगा .
अब ना पंजे से बचा तो -
हर गिरेबाँ चाक होगा .
सोचना क्या यार मेरे
और कितना सोचना है .
आ रही है सुबह प्यारी -
पाश्र्व में कोहरा घना है .
कमी उनकी भूल जा अब
ना कमी हो - तेरे अंदर .
हार ना जाए कहीं पुरु -
जीत ना जाय सिकन्दर .
No comments:
Post a Comment