Saturday, April 19, 2014

ये तेरा अंतिम वरण है .

भौर का तारा दिखा है 

रात का अंतिम चरण है .

वोट से तकदीर बदले -

ये तेरा अंतिम वरण है .



फिर नहीं अवसर मिलेगा  

फिर न कोई साथ होगा .

अब ना पंजे से बचा तो - 

हर गिरेबाँ चाक होगा .



सोचना क्या यार मेरे 

और कितना सोचना है .

आ रही है सुबह प्यारी -

पाश्र्व में कोहरा घना है .



कमी उनकी भूल जा अब 

ना कमी हो - तेरे अंदर .

हार ना जाए कहीं पुरु -

जीत ना जाय सिकन्दर .

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