बात उसने भी कहीं थी .
बात मैंने भी कही है .
कौन जाने क्या गलत है
राम जाने क्या सही है .
खुदसे खुद को जानना है
अब कोई आना नहीं है .
प्यार के आवाम नापे .
कोई पैमाना नहीं है .
सब गलत होते नहीं हैं .
मैं गलत हूँ मानता हूँ .
फिर जिरह क्यों ठानता हूँ .
यक्ष प्रश्नों से जो जूझे
क्यों युधिष्ठर अब मैं
खुद को मानता हूँ .
बात मैंने भी कही है .
कौन जाने क्या गलत है
राम जाने क्या सही है .
खुदसे खुद को जानना है
अब कोई आना नहीं है .
प्यार के आवाम नापे .
कोई पैमाना नहीं है .
सब गलत होते नहीं हैं .
मैं गलत हूँ मानता हूँ .
फिर जिरह क्यों ठानता हूँ .
यक्ष प्रश्नों से जो जूझे
क्यों युधिष्ठर अब मैं
खुद को मानता हूँ .
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