Wednesday, April 30, 2014

पुरानी याद - फिर शोले हुए हैं .


चाँद आधा -

मंद होता -

दीया बाती .
मंद शीतल -
चांदनी मन को
ना भाती .

फिर पुरानी
याद के खोलें
झरोखे - आओ
बांचें प्रेम पाती .


पखेरू लौटकर -
सब आ गए हैं -

हवा ने आज

'पर' खोले हुए हैं .

बुझी चिंगारियों को -
छू लिया जो
पुरानी याद -
फिर शोले हुए हैं .

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