Thursday, April 24, 2014

तुम क्या चाहते हो .

कभी थपकियाँ दे सुलाते हो 
मुझे जागने नहीं देते .
ऊँगली पकड़ धीरे चलते हो - 
मुझे भागने नहीं देते .
कभी गहरी नींद से - 
झिंझोड़ आवाज़ दे जगाते हो 
कभी गैर से कभी 
मेरे नितांत अपने बन जाते हो .
आज तक मैं नहीं जान पाया 
प्रभु मैं क्या चाहता हूँ - 
और तुम क्या चाहते हो .

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