शाम सिंदूरी तुम्हीं हो
चांदनी सी शान भी हो
प्रेम का अंतिम क्षितिज हो
खुशबुओं की जान भी हो .
महकती हो स्वांस में तुम
हवाओं की जान भी हो
प्राण सी बसती हृदय में
एक मधुरिम गान भी हो .
पंछियों के गीत जैसी
इक मधुर सी तान भी हो
मंदिरों की घंटियों सी
भौर की अज़ान भी हो .
चांदनी सी शान भी हो
प्रेम का अंतिम क्षितिज हो
खुशबुओं की जान भी हो .
महकती हो स्वांस में तुम
हवाओं की जान भी हो
प्राण सी बसती हृदय में
एक मधुरिम गान भी हो .
पंछियों के गीत जैसी
इक मधुर सी तान भी हो
मंदिरों की घंटियों सी
भौर की अज़ान भी हो .
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