Saturday, November 23, 2013

ना ये हराम है ना हलाल है

यही बेकसी है - यहाँ वहां 

रहे जिन्दगी - यही सवाल है .


ना गलत सही की तू बात कर 


ना ये हराम है ना हलाल है .




वही पसरी हुई है दूर तक 


है खुदा कहीं ना कमाल है .


ना रुपया कम ना रियाल है 

वही भूख है वही ख्याल है .




खुली लूट है ना ही छूट है


ना ही नोच है ना खसूट है .


कडा काजियों का है रुख यहाँ 


ये हुकूमत खुद एक सवाल है .

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