जब तैरा बीच समंदर में
ये पागल मनुआ क्यों डोले .
यूँ दबे पाँव - पदचाप नहीं
चल मेरे मन होले होले .
क्या कर लेगी बेख़ौफ़ हवा
सबसे अपना अपनापन है
ये जीत हार सब व्यर्थ यार
उड़ना केवल अपना प्रण है .
जो नहीं लड़ा वो हार गया
हाथों से सब संसार गया .
सब उसको याद करेगे फिर
जो उड़ा क्षितिज के पार गया .
जो डूब गया सो डूब गया
जो तैरा उतरा पार गया .
माया का सागर भरा हुआ
जो नहीं लड़ा वो हार गया .
ये पागल मनुआ क्यों डोले .
यूँ दबे पाँव - पदचाप नहीं
चल मेरे मन होले होले .
क्या कर लेगी बेख़ौफ़ हवा
सबसे अपना अपनापन है
ये जीत हार सब व्यर्थ यार
उड़ना केवल अपना प्रण है .
जो नहीं लड़ा वो हार गया
हाथों से सब संसार गया .
सब उसको याद करेगे फिर
जो उड़ा क्षितिज के पार गया .
जो डूब गया सो डूब गया
जो तैरा उतरा पार गया .
माया का सागर भरा हुआ
जो नहीं लड़ा वो हार गया .
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