Tuesday, November 19, 2013

मुक्तक

दिलसे दिलकी बात - कहना है जरुरी 

बात दिल की रह गयी - देखो अधूरी .

वक्त और हालात से ऐसे जुड़े सब 

कामना दिल की कहाँ - होती हैं पूरी .



कह रहे सब क्या सुनो -

शाम इक ऐसी भी हो जो -

मैं कहूं और तुम सुनो .


लब भले खामोश हैं पर -

आज आँखों में निमंत्रण .


एक चंचल कामिनी सी 

एक जिन्दा पीर सी .

घाव भरता ही नहीं है 

चुभ रही है तीर सी .


नहीं मन में कोई शंशय 
जिधर देखूं तू वहीं है .
तू ही तू तो - सब कहीं हैं 
तू ही तू है - हम नहीं हैं .

नयन उनसे जा लडे हैं 
लडखडा कर हम चलें हैं .
मयकशों को रंज हैं कुछ 
जमीं पर सीधे खड़े हैं .


ना कोई हसरत बची है
टिमटिमा कर दिल बुझा है .
ना कोई अरमान है बस -
जिस्म में कुछ जान है बस .


हम अकिंचन कुछ नहीं
गुणगान तेरा ही रहे बस .
नाम तेरा ही रहे बस -
हम रहें या ना रहें बस .


हर समय तकरार होती
हर घडी उनको मनाते .
आज तुम जो रूठ जाते
हम कसम से छूट जाते .



बहारें आई कसम से
हसरतों की भीड़ मेले .
आज हम भी हैं अकेले
तुम भी आजाओ अकेले .


दोस्त सच्चा है वही - जो 
यार - दुश्मन सा लगे जो .




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