छुपे सारे जिनावर अब
हमें वो खा नहीं सकते
जो निकला शेर जंगल में -
सामने आ नहीं सकते .
उगा प्रचंड जो सूरज -
दुबक बैठे हैं सब तारे .
उन्हें है एक ही चिंता -
की अब हारे - की अब हारे .
यही आवाज आती है
अब दिल्ली के मकानों से
उड़ादो चील गिद्दों को
टिके हैं जो बहानो से .
हमें वो खा नहीं सकते
जो निकला शेर जंगल में -
सामने आ नहीं सकते .
उगा प्रचंड जो सूरज -
दुबक बैठे हैं सब तारे .
उन्हें है एक ही चिंता -
की अब हारे - की अब हारे .
यही आवाज आती है
अब दिल्ली के मकानों से
उड़ादो चील गिद्दों को
टिके हैं जो बहानो से .
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