निकलते और कुछ पहले
ये मैले आसमां में तुम -
तो सच मानो कभी उजड़ी
ये फुलवारी नहीं होती .
ना काँटों का सितम होता
ना कुनबा बेरहम होता .
ये भारत भी चमन होता .
हंसी अपना वतन होता .
नमो नारायण कहना
सीख लेते सब जहाँ वाले
हमारे यार मोदी सा ना -
कोई अहले करम होता .
अब इसको रोकना ना -
टोकना पागल हवाओं तुम .
ये पर्वत सा गुरु होगा -
रुका ना - जो शुरू होगा .
ये मैले आसमां में तुम -
तो सच मानो कभी उजड़ी
ये फुलवारी नहीं होती .
ना काँटों का सितम होता
ना कुनबा बेरहम होता .
ये भारत भी चमन होता .
हंसी अपना वतन होता .
नमो नारायण कहना
सीख लेते सब जहाँ वाले
हमारे यार मोदी सा ना -
कोई अहले करम होता .
अब इसको रोकना ना -
टोकना पागल हवाओं तुम .
ये पर्वत सा गुरु होगा -
रुका ना - जो शुरू होगा .
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