Saturday, July 19, 2014

तू है कहाँ हिन्दुस्तानी .

कोई कुडमाई नहीं - 
डेटिंग पे जाती हैं जवानी .
हर नगर और शहर की 
अब एक जैसी है कहानी .

जैसा बोया काट लो अब - 
खाई गहरी पाटलो अब . 
आज तरुणोंकी अनोखी किस्म है 
रूह जिन्दा नहीं बस जिस्म है . 

ओढ़ चाहे ले विलायती
पर बिछा देसी बिछौना .
रोकना बसमें नहीं अब
हो रहा है जो है होना .

भोगियों की दास्ताने -
मत सुनो योगी जुबानी .
पढ़ लिया है पाठ अब -
तू है कहाँ हिन्दुस्तानी .

No comments:

Post a Comment