धर्म अब व्यापार ही है
हरित सा ये थार ही है
प्यास का परिमाण झूठा -
सिन्धु पूरा खार ही है .
गुरु मो सम है ना ग्यानी
ना जो नानक ना फरीदो
बिक रहा सस्ते में यारो
मोक्ष का सपना खरीदो .
धूप में आराधना कर -
मन्त्र मिलता है जपो तो
द्रव्य की समिधा तो डालो
और थोडा सा तपो तो .
हरित सा ये थार ही है
प्यास का परिमाण झूठा -
सिन्धु पूरा खार ही है .
गुरु मो सम है ना ग्यानी
ना जो नानक ना फरीदो
बिक रहा सस्ते में यारो
मोक्ष का सपना खरीदो .
धूप में आराधना कर -
मन्त्र मिलता है जपो तो
द्रव्य की समिधा तो डालो
और थोडा सा तपो तो .
No comments:
Post a Comment