गीत गीता सा मधुर हूँ
जीत किंचित हार हूँ मैं .
मैं विरह की वेदना हूँ -
मिलन का विस्तार हूँ मैं .
अप्रकट कुछ प्रकट सा
जो दिख रहा संसार हूँ मैं .
ढूंढना मुश्किल मुझे -
रहता क्षितिज के पार हूँ मैं .
चटकती जैसे शिरा हूँ -
रक्त का संचार हूँ मैं .
विश्व अणुसा बिखरता -
रचना कभी संहार हूँ मैं .
ढूंढ ले खोता नहीं हूँ -
अचेतन सोता नहीं हूँ .
ना कहीं तन्हाइयों में -
भीड़ में खोता नहीं हूँ .
मैं प्रणय की याचना हूँ
जिस्म की ना वासना हूँ
प्रेम की आराधना में -
मुक्तियों का द्वार हूँ मैं .
जीत किंचित हार हूँ मैं .
मैं विरह की वेदना हूँ -
मिलन का विस्तार हूँ मैं .
अप्रकट कुछ प्रकट सा
जो दिख रहा संसार हूँ मैं .
ढूंढना मुश्किल मुझे -
रहता क्षितिज के पार हूँ मैं .
चटकती जैसे शिरा हूँ -
रक्त का संचार हूँ मैं .
विश्व अणुसा बिखरता -
रचना कभी संहार हूँ मैं .
ढूंढ ले खोता नहीं हूँ -
अचेतन सोता नहीं हूँ .
ना कहीं तन्हाइयों में -
भीड़ में खोता नहीं हूँ .
मैं प्रणय की याचना हूँ
जिस्म की ना वासना हूँ
प्रेम की आराधना में -
मुक्तियों का द्वार हूँ मैं .
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