Sunday, July 6, 2014

मुक्तियों का द्वार हूँ मैं .

गीत गीता सा मधुर हूँ 
जीत किंचित हार हूँ मैं .
मैं विरह की वेदना हूँ - 
मिलन का विस्तार हूँ मैं .

अप्रकट कुछ प्रकट सा 
जो दिख रहा संसार हूँ मैं .
ढूंढना मुश्किल मुझे -
रहता क्षितिज के पार हूँ मैं .

चटकती जैसे शिरा हूँ  -
रक्त का संचार हूँ मैं  .
विश्व अणुसा बिखरता  -
रचना कभी संहार हूँ मैं  .

ढूंढ ले खोता नहीं हूँ -
अचेतन सोता नहीं हूँ .
ना कहीं तन्हाइयों में -
भीड़ में खोता नहीं हूँ .

मैं प्रणय की याचना हूँ
जिस्म की ना वासना हूँ
प्रेम की आराधना में -
मुक्तियों का द्वार हूँ मैं .

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