Thursday, August 11, 2016

गीत है पर सार जैसा कुछ नहीं .

चीज़ सारी हैं जहाँ में काम की
कबाड़ा भंगार जैसा कुछ नहीं .

प्यार में इकरार जैसा कुछ नहीं
दुश्मनी में खार जैसा कुछ नहीं .

काएदे तहजीब से मिलते यहाँ
दोस्ती है प्यार जैसा कुछ नहीं .

लोग मेरे से बसे फिर भी यहाँ
देशसे पर प्यार जैसा कुछ नहीं .

महूब्ब्त सड़कों पर बाजारों में है
मजनू लैला जैसा यार कुछ नहीं .

मंदिरों मस्जिद में जिसको पूजते
खुदा या करतार जैसा कुछ नहीं .

भक्त हैं पर भार जैसा कुछ नहीं
प्रभु में संसार जैसा कुछ नहीं .

वक्त कैसा आ गया है दोस्तों
गीत है पर सार जैसा कुछ नहीं .

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