छेडदी हैं लहरियां सुर तानमें
मस्त भ्रमरा है अभी मधुपान में
क्या हुआ अंजाम सोचेंगे कभी
गीत मैंने गा दिया है कानमें .
मस्त भ्रमरा है अभी मधुपान में
क्या हुआ अंजाम सोचेंगे कभी
गीत मैंने गा दिया है कानमें .
आज बासंती पवन यूँ कानमें
जाने मेरे क्या कह गयी .
रेत की दीवार फिरसे ढह गयी
छत अधर आकाशमें यूँ रह गयी .
जाने मेरे क्या कह गयी .
रेत की दीवार फिरसे ढह गयी
छत अधर आकाशमें यूँ रह गयी .
बहारों से क्या शिकायत
अब उन्हीं सहरों में हूँ .
चंद पल तुम संग बिताये
फिर उन्हीं पहरों में हूँ .
जीना भी बड़ा जरुरी है
जाने कैसी मजबूरी है -
मंजिल तो नहीं मिली लेकिन
ना सफ़र थका ना पाँव थके
ना मंजिल है ना रस्ता है
सफ़र को दिल तरसता है
ये बंजारों की बस्ती में -
सदा फिर कौन बसता है .
अब उन्हीं सहरों में हूँ .
चंद पल तुम संग बिताये
फिर उन्हीं पहरों में हूँ .
जीना भी बड़ा जरुरी है
जाने कैसी मजबूरी है -
मंजिल तो नहीं मिली लेकिन
ना सफ़र थका ना पाँव थके
ना मंजिल है ना रस्ता है
सफ़र को दिल तरसता है
ये बंजारों की बस्ती में -
सदा फिर कौन बसता है .
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