जो मुखर हो बोलते हैं -
रोक लेंगी क्या हवाएं
रास्ता क्या रोक लेंगी -
कुञ्ज की कोमल लताएँ .
शक्ति के वो पुंज धूमिल -
हो ना जाए याद रखना .
बोलते जो हैं पखेरू
ध्यान से सुन लो जरा
आज आखेटक यहीं हैं
श्री हरी को याद रखना
गर कभी मिल जाएँ तुमको
तुम यही फ़रियाद रखना
रोक लेंगी क्या हवाएं
रास्ता क्या रोक लेंगी -
कुञ्ज की कोमल लताएँ .
शक्ति के वो पुंज धूमिल -
हो ना जाए याद रखना .
बोलते जो हैं पखेरू
ध्यान से सुन लो जरा
आज आखेटक यहीं हैं
श्री हरी को याद रखना
गर कभी मिल जाएँ तुमको
तुम यही फ़रियाद रखना
No comments:
Post a Comment