Friday, August 12, 2016

हम तुरुप की काट होते

अठारह से साठ होते -
तोलते मनसे तुम्हें हम
फिर पुराने बाट होते .

डाकमें खोये हुए ख़त
आज आ जाते कहीं जो
हम क़ुतुबकी लाट होते .

प्रेम के इस खेलमें भी
बादशा इक्का ना बेगम
हम तुरुप की काट होते

युग वही आता हमारा
प्रेमके फिर पाठ होते
बहूत बढ़िया ठाठ होते .

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