Tuesday, October 15, 2013

मुक्तक

बहूत हंसती थी आँखें - रुलाये जा रहा हूँ मैं .

जो यादोंमें थे - उनको भूलाये जारहा हूँ मैं .


बेवफा के लिए सोच - यार मरना क्या

गये जो भूल - उनको याद करना क्या .


यूँ रही उनसे शिकायत - कब नहीं .

थी कभी उनसे शिकायत अब नहीं .


खुबसूरत थी जहाँ तन्हाईयाँ - 

आज गहरी हैं वहां पर खाइयाँ .


कोई दूर है - गम जिसका पास है

जाने क्यों आज फिर दिल उदास .


जेठमें ठंडी अगन - सावन आग सा लगे .

ख्वाब सच सा लगे - सच ख्वाब सा लगे .


तुमको हक़ है - 

चाहे जैसे संभालो .

मुन्तजिर हूँ - आपका

आकाश सा औढ लो -

धरती सा बिछा लो .


दोस्ती फूलों से - काँटों से करार

बोझ जुल्फों का बहूत होता है यार .


आज दिल फिर - किसी ने ठुकराया .

बेवफा बस तेरा ही नाम याद आया .

मोदी जी अर्जी यही - यही करेगा सूट 
बातों से माने नहीं - मार बनाओ भूत .
उल्टा इनको टांग कर - हंटर मारो सूंत .
लहूना निकले बूँदभी निकले इनका मूत .

आज नहीं तो तडके होंगे .
कार्यकर्त्ता भी भड़के होगें .
जाने दो तुम राहुल भैया -
अब मनमोहन खडके होंगे .

ना बात चली न बात कही 
वो उनके यारो साथ गयी .
कल निकलेगा फिरसे सूरज 
क्या देखें अंधी रात गयी .

छुपके दिल में 
रह रहा है वो कहीं .
ना कहीं भी -
ढूँढने जाना पड़ेगा .
गर पुकारो प्रेम से 
तो दोस्तों .
वो कहीं भी हो - 
उसे आना पड़ेगा .

नियति के पंख हैं और 
फासला कितना यहाँ है .
पंछी उड़ता आसमां में 
घोंसला जाने कहाँ हैं .

सौ सुख और हजारों दुःख हैं 
माने कोई या ना माने .
मरना कौन यहाँ मुश्किल है 
जीना सीख अरे दीवाने .


छोड़कर अब आ गया संसार तेरा 
सच नहींथा झूठथा वो प्यार तेरा .
चाहिए ना फूल अब माली हुआ हूँ 
कल भरा था आजकुछ खाली हुआ हूँ .


जिन्दगी सुंदर बहूत है प्यार कर ले .
जो मिली जैसी भी है स्वीकार कर ले .


बोलते सब लोग - थोडा कम कहें 
मौन हों सब यार तो कुछ हम कहें .





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