भीड़ है भगवान् भी है
आफतों में जान भी है .
दूर बैठा वो कसम से
पंडितों की शान भी है .
मिलन की मुश्किल घडी है
पहुंचना मुश्किल बडी है .
पंडितों के फ़ौज या रब
सब तुझे घेरे पड़ी है .
तू बंधा तो भाव से पर
मांगते हैं भाव ये पर
बंध गया जाने तू कैसे
तू तो मुक्तिकार भी है .
है मेरी अंतिम विनय ये
जो कहीं तू सुन रहा हो .
निकलकर बाहर चला आ
भक्त भी हूँ - भाव भी है .
आफतों में जान भी है .
दूर बैठा वो कसम से
पंडितों की शान भी है .
मिलन की मुश्किल घडी है
पहुंचना मुश्किल बडी है .
पंडितों के फ़ौज या रब
सब तुझे घेरे पड़ी है .
तू बंधा तो भाव से पर
मांगते हैं भाव ये पर
बंध गया जाने तू कैसे
तू तो मुक्तिकार भी है .
है मेरी अंतिम विनय ये
जो कहीं तू सुन रहा हो .
निकलकर बाहर चला आ
भक्त भी हूँ - भाव भी है .
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