बाज उड़ते हैं गंगन में - नीड चिड़िया के हैं बन में
आसुरी शक्ति जुटी हैं - पाप के बेहद सृजन में .
आसुरी शक्ति जुटी हैं - पाप के बेहद सृजन में .
कोटि कोटि आखं देखें बाट - आयेंगे कभी रघुनाथ
कोटि कोटि आखं देखें बाट - आयेंगे कभी रघुनाथ
और पत्थर की अहिल्या विगलित होती है मन में .
और पत्थर की अहिल्या विगलित होती है मन में .
आज इस असम धरा को गोल करना चाहता हूँ
आज इस असम धरा को गोल करना चाहता हूँ
बाद रावण के धरा का - तोल करना चाहता हूँ .
बाद रावण के धरा का - तोल करना चाहता हूँ .
पाप बाकी हैं धरा पर - भार से रत है ये भारत .
पाप बाकी हैं धरा पर - भार से रत है ये भारत .
आज सबसे मैं ये अंतिम खोल करना चाहता हूँ .
आज सबसे मैं ये अंतिम खोल करना चाहता हूँ .
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