अगिनत अकूत धनकी खान है
बाबा बापू की अनूठी शान है .
साष्टांग दंडवत इनको करो -
ये नहीं हैं आदमी भगवान् हैं
सुधा ना दो जहरतो मत घोलिये .
टोकते अब लोग मुंह मत खोलिए .
चुप रहो बेमौत मारे जाओगे -
संग सबके जय इन्हीं की बोलिए .
दुर्गकी दीवार - जैसे नर लगे
चींटियों से आदमी अनुचर लगे .
फंडसे पाखण्ड यारो देखिये -
छविभी ना देवसे कमतर लगे .
ठाठ बाठ हैं रईसी शान हूँ .
क्या हुआ थोडा बहुत इंसान हूँ .
जय विजय से गूंजता है आसमां -
भक्त जैसा कुछ नहीं भगवान् हूँ .
वापिसी की ना बची है आस यारो क्या करूँ
उठ गया भगवानसे विश्वास यारो क्या करूँ .
जो भी था वो सब समर्पित कर दिया -
एक पाई भी बची न पास यारो क्या करूं .
बाबा बापू की अनूठी शान है .
साष्टांग दंडवत इनको करो -
ये नहीं हैं आदमी भगवान् हैं
सुधा ना दो जहरतो मत घोलिये .
टोकते अब लोग मुंह मत खोलिए .
चुप रहो बेमौत मारे जाओगे -
संग सबके जय इन्हीं की बोलिए .
दुर्गकी दीवार - जैसे नर लगे
चींटियों से आदमी अनुचर लगे .
फंडसे पाखण्ड यारो देखिये -
छविभी ना देवसे कमतर लगे .
ठाठ बाठ हैं रईसी शान हूँ .
क्या हुआ थोडा बहुत इंसान हूँ .
जय विजय से गूंजता है आसमां -
भक्त जैसा कुछ नहीं भगवान् हूँ .
वापिसी की ना बची है आस यारो क्या करूँ
उठ गया भगवानसे विश्वास यारो क्या करूँ .
जो भी था वो सब समर्पित कर दिया -
एक पाई भी बची न पास यारो क्या करूं .
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