Monday, July 20, 2015

बीच समन्दर जाना सीखो .


क्या जीवन है इतना छोटा -
काट काट कर सीना है बस .
जीवन हेतु जीना  है बस .
चाक गिरेबां सीना है बस .

क्या सागर मंथन में केवल
शेष नाग को सहना है बस .
अमृत की चाहत में यारो -
जहर हमे ही पीना है बस .

संघर्षों से क्यों कतराते -
संग लहर के क्यों बहते हैं .
मृत्यु के भय से जीते हैं -
क्या इसको जीवन कहते हैं .

धरती पर तो खड़े हुए हो
अम्बर से टकराना सीखो .
अच्छी सीख मिलेगी यारो -
थोडा सा इतराना सीखो .

नौका नयी बनाना सीखो
लहरों से टकराना सीखो .
मोती मुक्ता बहुत मिलेंगे
बीच समन्दर जाना सीखो .

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