Saturday, September 3, 2016

मरे हुओं को यार क्या रोना .

दिलकी यारा यही गुजारिश है 
खफा मुझसे कभी नहीं होना .
तेरी खुशबुसे गुलज़ार हुआ
मेरे दिलका सनम हरेक कोना .

ना आये आँखों में कभी सपने
ऐसा सोना भी यार क्या सोना .
बहते दृग तोड़ डालें बंद सभी
बूंदकी तरह यार क्या रोना .

ढूंढा तुमको पर ना मिले कहीं 
दिलमें झूठी तसल्ली क्या होना 
पा लिया होता तो खो गये होते - 
कभी पाया न उसका क्या खोना .

जिन्दगी जिन्दा सवाल होती है 
सोच लो जिसका तुमको है होना 
विगत तो भूत बला होते हैं -
मरे हुओं को यार क्या रोना .

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