Thursday, September 15, 2016

महक हूँ चन्दन नहीं हूँ

आर्त हूँ क्रंदन नहीं हूँ
अर्चना वंदन नहीं हूँ
भुक्ति हूँ भोगी नहीं हूँ
युक्त हूँ योगी नहीं हूँ

समर से भागा नहीं हूँ
सुसुप्ति में जागा नहीं हूँ
लिप्त हूँ बंधन नहीं हूँ
महक हूँ चन्दन नहीं हूँ

राव जैसा रण नहीं हूँ
भीष्म जैसा प्रण नहीं हूँ
राम जैसा भी नहीं हूँ
देवकी नंदन नहीं हूँ .

शोषितों में भी नहीं हूँ
पौषितों में भी नहीं हूँ
रोषितों जैसा नहीं पर
समन्दर मंथन नहीं हूँ

तय विजय न हार हूँ मैं
खुला यमका द्वार हूँ मैं
हर घडी जो मिट रहा है
स्वप्नमय संसार हूँ मैं

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