नहीं चाँदमें दाग कुछ
सोनी जी बेदाग़ .
लम्पट भडुए कह रहे
हमसे खेलो फाग .
सोनी जी बेदाग़ .
लम्पट भडुए कह रहे
हमसे खेलो फाग .
सागर जैसे उठ रहे
सबके मुंहमें झाग .
सबके मुंहमें झाग .
अब कोमे में हैं सभी
बचा ना कोई राग .
सबकी अपनी छालनी
सबके अपने छाज .
सबके अपने छाज .
मोदी का दुश्मन मिलें
तब आये 'स्व- राज' .
तब आये 'स्व- राज' .
पानी तो पाया नहीं
खोदत दीखे सब कुआँ .
निकला सारों का धुँआ
मोदी कोसे हर मुआ .
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